राम-भजन शाम-सवेरे, ‘राम-भजन‘ कर, फिर ये ‘शरीर’ मिले न मिले, गिरिराज की ये शुचि,...
कवि सुभाष चंद वर्मा
‘कैसे लिखूँ’ ‘सितम’ सहने के बाद, कुछ ‘अच्छा’ कैसे लिखूँ इन ‘उम्रदराजों’ को आज,...
‘राधा-कृष्ण’ को समर्पित मेरी रचना ‘कृष्ण-विरह’ कृष्ण-विरह में, सुध-बुध खोई छवि अपनी, बिसराती है...
सुभाष चंद वर्मा रक्षा अधिकारी (से.नि.) विजय पार्क, देहरादून ———————————————————– हे ‘महामानव’ तुझे प्रणाम...
राहें अब अंधेरों से परदे, हटा लीजिये अपनी राहों में दीपक, जला लीजिये ये...
सूभाष चंद वर्मा देहरादून, उत्तराखंड ————————————————– फूल एक ही नूर से, दुनिया में सारे...
सुभाष चंद वर्मा देहरादून, उत्तराखंड —————————————————————————– कांटा पर निकलते ही, फुर्र से उड़ गए...