‘कैसे लिखूँ’
‘सितम’ सहने के बाद, कुछ ‘अच्छा’ कैसे लिखूँ
इन ‘उम्रदराजों’ को आज, ‘बच्चा’ कैसे लिखूँ
इस दिल में ‘इश्क’ की, कोई ‘ख्वाइश्’ नहीं
हर ‘चेहरे’ को तारीफ में, ‘सच्चा’ कैसे लिखूँ
कश्ती को डुबोने में अगर, ‘माँझी’ का हाथ हो
इसे दरिया की लहरों का, ‘गच्चा’ कैसे लिखूँ
सियासत के इस ‘खेल’ में, ‘भतीजे’, ‘चाचा’ बन गये
इन असली ‘चाचाओं’ को, ‘चच्चा’ कैसे लिखूँ
किसी पत्थर दिल ने, भेज दिये ‘उपहार’ में ‘पत्थर’
इन ‘पत्थरों’ को, ‘फूलों का ‘गुच्छा’, कैसे लिखूँ
सात रंगों से बनी है, दिव्य ‘अखंड- ज्योति’
उस नूर के रंगों को, ‘कच्चा’ कैसे लिखूँ
‘सितम’ सहने के बाद, कुछ ‘अच्छा’ कैसे लिखूँ
इन ‘उम्रदराजों’ को आज, ‘बच्चा’ कैसे लिखूँ
इस दिल में ‘इश्क’ की, कोई ख्वाइश नहीं
हर ‘चेहरे’ को तारीफ में, ‘सच्चा’ कैसे लिखूँ……..
कवि
सुभाष चंद वर्मा
रक्षा अधिकारी(सेoनिo)
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