सूभाष चंद वर्मा
देहरादून, उत्तराखंड
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फूल
एक ही नूर से, दुनिया में सारे रंग मिलते हैं
गुलशन के दामन में, हजारों फूल खिलते हैं
शहीदों की समाधि पर, बस एक फूल रख् देना
वतन पर मिटने वालों के, निशाँ भारत मे मिलते हैं।
बचपन में जो खेले, वतन की धूल मिट्टी से
वतन के वास्ते मिल गए, वतन की मूल मिट्टी से
माथे पर थोड़ी सी, वतन की धूल रख लेना
शहीदों की समाधि पर, बस एक फूल रख् देना
राणा, वीर शिवाजी, भगत सिंह, भारत मे मिले हैं
गुलशन के दामन में, हजारों फूल खिलते हैं।
जब जब ये दुश्मन, भारत का इंतहाँन लेते हैं
हम घर में घुसकर, मौत का पैगाम देते हैं
महिषासुर बहुत हैं, हाथों में त्रिशूल रख लेना
शहिदों की समाधि पर, बस एक फूल रख देना
यहाँ के अभिनंदन से अब, दुश्मन सिर हिलाते हैं
गुलशन के दामन में, हजारों फूल खिलते हैं।
हैं शिव, राम और कृष्ण, मिट्टी के हर कण में
उन्हीं की चेतना चेतन, हमारे प्राण और प्रण में
असुरों को इस मिट्टी से, निर्मूल कर देना
शहीदों की समाधि पर, बस एक फूल रख देना
ऋषि गौतम, गुरु नानक भारत में मिलते हैं
गुलशन के दामन में, हजारों फूल खिलते हैं।
शहीदों की समाधि पर, बस एक फूल रख देना
वतन पर मिटने वालों के, निशाँ भारत में मिलतें हैं।
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