December 24, 2024

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गौरीकुंड हादसा : मलबे में लापता 17 लोगों की तलाश जारी, खराब मौसम के कारण मुख्यमंत्री का दौरा रद्द

गौरीकुंड में घटना स्थल पर खोजबीन में एसडीआरएफ सहित अन्य संस्थाओं के जवान जुटे हुए हैं। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि शनिवार को सुबह से क्षेत्र में हल्की बारिश हो रही है।

(Uttarakhand Meemansa News)। रुद्रप्रयाग जिले के गौरीकुंड में भूस्खलन में लापता हुए 17 लोगों की खोजबीन के लिए रेस्क्यू शनिवार सुबह 5.30 बजे से शुरू हो गया था। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ सहित अन्य संस्थाओं के जवान खोजबीन में जुटे हैं। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि सुबह से क्षेत्र में हल्की बारिश हो रही है।

वहीं, रुद्रप्रयाग में मौसम खराब होने के कारण मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का शनिवार को गौरीकुंड दौरा रद्द हो गया है। दुर्भाग्य से रुद्रप्रयाग देश के 10 सबसे अधिक भूस्खलन खतरे वाले जिलों में से पहले नंबर पर है। इसका उदाहरण पिछले तीन-चार दशकों के दौरान जिले में भूस्खलन की वे बड़ी घटनाएं हैं, जिनमें हजारों लोग मारे गए या लापता हो गए।

रुद्रप्रयाग जिले को देश में भूस्खलन से सबसे अधिक खतरा

वर्ष 2013 में केदारनाथ में हुए भूस्खलन और बाढ़ में 4500 लोगों की मौत हो गई थी। गौरीकुंड भूस्खलन हादसे ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के राष्ट्रीय सुदूर संवेदी केंद्र (एनआरएससी) की उस भूस्खलन मानचित्र रिपोर्ट पर मुहर लगाई है। उपग्रह से लिए गए चित्रों के आधार पर तैयार की गई रिपोर्ट बताती है कि रुद्रप्रयाग जिले को देश में भूस्खलन से सबसे अधिक खतरा है। भूस्खलन जोखिम के मामले में देश के 10 सबसे अधिक संवेदनशील जिलों में टिहरी दूसरे स्थान पर है।

पर्वतीय जनमानस के लिए चिंताजनक बात यह है कि सर्वाधिक भूस्खलन प्रभावित 147 जिलों में उत्तराखंड के सभी 13 जिले शामिल हैं। इनमें चमोली जिला भूस्खलन जोखिम के मामले में देश में उन्नीसवें स्थान पर है। चमोली जिले का जोशीमठ शहर भूस्खलन के खतरे की चपेट में पहले से है।

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