December 24, 2024

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वृक्ष मानव विश्वेश्वर दत्त सकलानी का जन्म शताब्दी समारोह कल पुजार गांव में

-जन्म शताब्दी समारोह का आयोजन सकलानी के गांव पुजार गांव पट्टी सकलाना टिहरी गढ़वाल में कल (2 जून) को आयोजित हो रहा है। समारोह में देश विदेश से विभिन्न लोग शामिल हो रहे हैं।

(Uttarakhand Meemansa News)। पर्यावरण संरक्षण आमतौर पर पेड़ों और हरियाली के संरक्षण को दर्शाता है। लेकिन, व्यापक अर्थों में इसका तात्पर्य पेड़, पौधों, पशुओं, पक्षियों और पूरे ग्रह की सुरक्षा से हैं। वास्तव में पर्यावरण और जीवन के बीच एक अनूठा संबंध है। पर्यावरण संरक्षण मानव जाति के भविष्य और अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है। आज पर्यावरणीय गिरावट और जलवायु परिवर्तन ने संपूर्ण मानव जाति को प्रभावित किया है। इसी समस्या को दूर करने के लिए प्रकृति प्रेमी, स्वतंत्रता संग्राम, समाजसेवी व कर्मयोगी वृक्ष मानव विश्वेश्वर दत्त सकलानी ने इस धरा को सुंदर व हरा भरा करने के लिए अपना सब कुछ समर्पित किया। आज का मनुष्य रोजमर्रा की निजी जिंदगी में उलझा हुआ है। लेकिन, बहुत कम लोग होते हैं, जो अपने जीवन में निस्वार्थ भाव से मानव जाति के कल्याण के लिए निरंतर कर्म करते हैं। ऐसे ही लोग ही संसार में मानव के रूप में जन्म लेकर महामानव बन जाते हैं। ठीक इसी तरह कर्मयोगी, महामानव, वृक्ष मानव विश्वेश्वर दत्त सकलानी ने भी निष्काम भाव से प्रकृति व समाज को सजाने और संवारने में अपना पूर्ण जीवन समर्पित किया।

वृक्ष मानव के शरीर, आत्मा और रोम-रोम में सदैव पर्यावरण व पेड़-पौधे बसते थे। उन्होंने जीवन के अंतिम समय तक पर्यावरण संरक्षण और समाजसेवा की अलख जगाए रखी। वृक्ष मानव की तपस्या से पुजार गांव सकलाना जनपद टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड में खड़ा हुआ लाखों वृक्ष का प्राकृतिक आक्सीजन बैंक समस्त प्राणियों को प्राणवायु व जल-जीवन देने का अविरल काम कर रहा है। वृक्ष और पर्यावरण के लिए उनका समर्पण कुछ इस प्रकार था।

‘धरती मेरी किताब, पेड़-पौधे मेरे शब्द, तीन किलो की कुदाल मेरी कलम, इसी से मैंने धरती पर हरित इतिहास लिखा है।’ ये शब्द वृक्ष मानव विश्वेश्वर दत्त सकलानी के हैं। धरती के बंजर सीने पर, हिमालय क्षेत्र में लाखों वृक्ष उगाने वाले विश्वेश्वर दत्त सकलानी ने पुजार गांव सकलाना में विशाल जंगल खड़ा किया है। उन्होंने करीब 1200 हेक्टेयर में 50 लाख से अधिक पेड़ लगाए। इनमें बांज, बुरांश, काफल, देवदार और विभिन्न प्रकार के फलदार पेड़ शामिल हैं। उनके इस कार्य के लिए लगभग पांच दशक बाद वर्ष 1986 में भारत सरकार ने इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरुस्कार से सम्मानित किया। वृक्ष मानव कहा करते थे कि पेड़ मेरे भगवान हैं, पेड़ मेरे माता-पिता, पेड़ मेरे संगी साथी, पेड़ मेरी संतान।

पूर्वज को दहेज में मिला था जंगल

वृक्ष मानव विशेश्वर दत्त सकलानी का जन्म 2 जून 1922 को पुजार गांव सकलाना टिहरी गढ़वाल में हुआ था। वृक्ष मानव को वृक्ष लगाकर प्रकृति को संवारने का कर्मभाव पूर्वजों से विरासत में मिला। पुजार गांव में देवदारों का सघन जंगल इसका ज्वलंत उदाहरण है जो लगभग 350 साल पहले सकलानी के पूर्वज को दहेज में मिला था। इसी के साथ पत्थर की ओखली और पत्थर का एक धारा मिला। यही कारण है वे आठ वर्ष की खेलने-कूदने की उम्र से ही पेड़ लगाने लगे थे और पर्यावरण के महत्व को समझते थे। वे कहते थे उनकी पढ़ाई-लिखाई ठोकर और टक्करों के विश्वविद्यालयों में हुई। पुरुषार्थ व निस्वार्थ भाव से उम्र बढ़ने के साथ-साथ बंजर जमीन पर पेड़-पौधे लगाने की श्रृंखला बढ़ती चली गई।

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान गए जेल

विश्वेश्वर दत्त सकलानी और उनके बड़े भाई अमर शहीद नागेंद्र सकलानी ने आजादी की लड़ाई में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कई बार वे जेल भी गए। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अमर शहीद नागेंद्र सकलानी 11 जनवरी 1948 को कीर्तिनगर में शहीद हुए। 1956 में वृक्ष मानव की पहली पत्नी का क्षय रोग से देहांत हो गया। इन घटनाओं ने उनका वृक्षों लगाव बढ़ा दिया। इसके बाद उनके जीवन का एक ही उद्देश्य बन गया, पौध रोपण और समाज सेवा। सामाजिक कार्यों में भी आपकी अभिरुचि थी। आपने पुजार गांव में हाई स्कूल खुलवाने के लिए स्थानीय लोगों के सहयोग से आन्दोलन किया और भूख हड़ताल की, जिसके फलस्वरूप स्कूल, सड़क और बिजली आई। आज यह क्षेत्र बहुत ही सुन्दर और विकास की दौड़ में अन्य क्षेत्रों के समानांतर आगे बढ़ रहा है।

प्रचार प्रसार से हमेशा दूर रहे वृक्ष मानव

वृक्ष मानव सच्चे कर्मयोगी थे। इसलिए प्रचार-प्रसार से हमेशा कोसों दूर रहे हैं।18 जनवरी 2019 को वृक्ष मानव इस शरीर को छोड़कर अनंत की यात्रा पर निकल गए। लेकिन, उनके अविस्मरणीय कार्य सदैव पर्यावरण संरक्षण और समाज सेवा के पथ पर आगे बढ़ने का संबल प्रदान करते रहेंगे। वर्तमान सरकार ने उनके कार्यो की महत्ता को समझते हुए व स्थानीय लोगों की भावनाओं का आदर करते हुए रायपुर-कुम्लाडा-कद्दूखाल मार्ग का नाम वृक्ष मानव विशेश्वर दत्त सकलानी मार्ग रखा है। जो कि स्वागत योग्य कदम है। लेकिन, इस सड़क का चौड़ीकरण हो जाता और जहां सम्भव है पेड़ लग जाते तो वृक्ष मानव विश्वेश्वर दत्त सकलानी को सच्ची श्रद्धांजलि होती।

पेड़ लगा कर करें धरा को हरा-भरा हम,
जब पर्यावरण बचेगा, तो जीवन होगा सुखदाई।
क्या है जंगल के उपकार, मिट्टी पानी और बयार।
इसलिए अपने जीवनकाल में महत्वपूर्ण अवसरों पर पौधा जरूर लगाएं।

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