-न्यायालय में कमीशन की पेश रिपोर्ट में साफ तौर पर मस्जिद परिसर में प्राचीन मंदिर के भग्नावशेष मिलने का दावा किया गया था। रिपोर्ट के आधार पर वर्ष 2019 में न्यायालय ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को रडार तकनीक से सर्वे का आदेश दिया था। इस मामले में उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी है।
ज्ञानवापी परिसर में 26 साल पहले हुई कमीशन की कार्यवाही में हिंदू मंदिरों के भग्नावशेष मिलने का सच सामने आया था। सिविल जज की अदालत में दर्ज एंसिएंट आइडल स्वयंभू लार्ड विश्वेश्वर व अन्य के वाद में भी न्यायालय ने विशेष अधिवक्ता आयुक्त के तौर पर राजेश्वर प्रसाद सिंह को नियुक्त किया था। न्यायालय में पेश उनकी रिपोर्ट में साफ तौर पर मस्जिद परिसर में प्राचीन मंदिर के भग्नावशेष मिलने का दावा किया गया था। साथ ही परिसर के पूरब तट पर हनुमान प्रतिमा, गंगा व गंगेश्वर मंदिर की भी पुष्टि की गई थी। रिपोर्ट के आधार पर वर्ष 2019 में न्यायालय ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को रडार तकनीक से सर्वे का आदेश दिया था। इस मामले में उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी है।
अदालत में दर्ज एंशिएंट आइडल स्वयंभू लार्ड विश्वेश्वर व अन्य के वाद में 27 जुलाई 1996 को न्यायालय ने कमीशन की कार्यवाही का आदेश जारी करते हुए राजेश्वर प्रसाद सिंह को विशेष अधिवक्ता आयुक्त नियुक्त किया था। कमीशन की ओर से दर्ज रिपोर्ट में साफ किया गया था कि विवादित स्थल के चारों तरफ प्राचीन काल की निर्मित पुस्ती को दिखाया गया, जो प्राचीन मंदिर का अवशेष देखने से प्रतीत हो रहा है। पूरब में एक बड़ा चबूतरा है और पश्चिमी ओर मंदिर के भग्नावशेष मौजूद हैं, जो काफी उत्साहवर्धक है। पश्चिम तरफ मंदिर के भग्नावशेष के तीन दरवाजों को बंद करके चुन दिया गया है और भग्नावशेष के ऊपर मस्जिद नुमा ढांचा निर्मित है।
रिपोर्ट में साफ लिखा गया है कि भग्नावशेष के पश्चिम में प्राचीन मंदिर के भग्नावशेष का ढेर है, जो बड़े चबूतरे में रूप में स्थित है। मामले में तत्कालीन विशेष अधिवक्ता आयुक्त ने वादीगण के अधिवक्ताओं के गणेश, शृंगार गौरी व मोदीश्वर देवतान की पूजा दावे पर मुहर लगाई थी। इसके साथ पूरब परिक्रमा पथ से हटकर हनुमान प्रतिमा व मंदिर, गंगा देवी व गंगेश्वर मंदिर के मौजूद होने का जिक्र था।
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