वीरेंद्र डंगवाल “पार्थ”
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उत्तराखंड के पिथौरागढ़ निवासी मनोज भट्ट भारतीय नौसेना में सब-लेफ्टिनेंट बने हैं। भारतीय नव वर्ष (नव संवत्सर) पर आज मनोज को पदोन्नति का यह तोहफा मिला है। मनोज का जीवन कठनाइयों से भरा रहा है। अपने गहन परिश्रम और संघर्ष के बल पर मनोज सैनिक से सब-लेफ्टिनेंट के पद तक पहुंचे हैं।
कार्की गाँव कुमडार (हाल निवासी कुशौली गाँव) के मनोज भट्ट के पिता स्व. कृष्णानंद भट्ट भी भारतीय सेना में हवालदार पद पर सेवारत थे। सेवाकाल में ही उनका आकस्मिक निधन हो गया था। तब मनोज मात्र 8 वर्ष के थे। दो बहनों के संग इनका लालन-पालन इनकी माता स्व. माधवी भट्ट ने गाय का दूध बेचकर किया।
मनोज छोटी अवस्था से ही पढ़ाई के साथ-साथ घर के पास ही फौजी ऑफीसरों के क्वाटरों में दूध पहुँचाने का काम करने लगे। विषम परिस्थितियों के दौरान भी मन में देश सेवा का जज्बा पाले मनोज ने स्वाध्याय के साथ ही घर-घर जाकर बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया।
वीर भूमि उत्तराखंड से सैन्य पृष्ठभूमि वाले मनोज का वर्ष 2007 में बीएससी प्रथम वर्ष में ही भारतीय नौसेना में सैनिक पद पर चयन हो गया। पदोन्नति के सोपान चढ़ते-चढ़ते वर्ष 2020 में मास्टर चीफ (भारतीय नौसेना के सुबेदार) बने और विशेष ट्रेनिंग लेकर गोताखोर दस्ते के भी मेंबर बन गए।
समुद्र की असीम गहराइयों की थाह अपनी भुजाओं से मापने वाले गोताखोर मनोज की महत्वाकांक्षाएं भी असीम थी, जिसके फलस्वरूप स्पोट्स में भी आपको महारत हासिल है। नौसेना की ओर से आयोजित मैराथन में भी आप प्रतिवर्ष भाग लेते हैं। गौरतलब है कि इनके स्वसुर कान्ति बल्लभ पाठक भी भारतीय नौसेना से रिटायर्ड चीफ पेटी ऑफीसर हैं। इनकी पत्नी भी सी सर्टिफिकेट होल्डर एनसीसी कैडेट रही हैं।
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