भगवद चिन्तन। नव वर्ष मंगलमय हो।
माँ दुर्गा से विश्व मंगल एवं विश्व कल्याण की कामना के साथ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष का शुभागमन हो रहा है। दिशाएं प्रमुदित एवं प्रफुल्लित हैं, भँवरे फूलों पर गुँजार कर रहे हैं, चिड़ियाँ मधुर राग में प्रकृत्ति का गुणगान कर रही हैं एवं लता -पताएं अपने श्रृंगार से वातावरण को नव सौंदर्य प्रदान कर रही हैं।
संपूर्ण प्रकृति पर नव रंग छाया है।
दिशाएं साक्षी हैं कि नव वर्ष आया है।।
नव वर्ष पर प्रकृत्ति का बदला व नव स्वरूप हमें प्रेरणा देता है कि जीवन प्रतिपल परिवर्तनीय एवं गतिशील है। जीवन में दुख आया है, प्रतिकूलताएं आई हैं तो विचलित न हों। क्योंकि, अमावस के बाद पूर्णिमा की धवलता आने ही वाली है और पतझड़ के बाद बसंत के रंग में प्रकृत्ति रंगने ही वाली है।
आओ इस नव वर्ष से जीवन को नव उल्लास, नव उमंग, नव सृजन में जीने की प्रेरणा प्राप्त करते हुए अपने जीवन को सुखमय एवं आनंदमय बनाते हैं।
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