जीके पिपिल
देहरादून, उत्तराखंड
———————————————————————-
गज़ल
अपने हक़ में बिमारी आई तीमारदारी ना आई
हमेशा पंक्ति में रहा कभी अपनी बारी ना आई
कई बार की मशक्कत और मिन्नतों के बाद ही
टुकड़ों में आई ज़िंदगी कभी भी सारी ना आई
ये कोई किवदंती नहीं बल्कि तजुर्बे की बात है
मोहब्ब्त के बाद किसी नशे में खुमारी ना आई
वो दिल तोड़कर क्या गया हमसे जोड़े ना जुड़ा
दिल को जोड़ने की हमको कलाकारी ना आई
हम आज़ भी उसके इंतज़ार में राहों में बैठकर
बेकरार तो हैं मगर पहली सी बेकरारी ना आई
जब खुद को लगी तभी हम भी समझदार हुए
बिना ठोकर लगे किसी में समझदारी ना आई।
More Stories
नगर निकाय चुनाव की तैयारियों में तेजी, इसी सप्ताह जारी होगी चुनावी अधिसूचना
भ्रष्टाचार और मणिपुर हिंसा को लेकर कांग्रेसियों ने किया राजभवन कूच
ज्योतिर्मठ-मलारी हाईवे पर गाडी ब्रिज के नीचे दो शव युवकों के शव मिले