-मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस उपलब्धि के लिए प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि यह उपलब्धि हम सबके लिए गौरवशाली पल है। पुराणों में गढ़वाल का केदारखंड और कुमाऊं का मानसखंड के रूप में वर्णन किया गया है। स्कंदपुराण में मानसखंड के बारे में बताया गया है। जागेश्वर मंदिर की धार्मिक मान्यता है।
दिल्ली में आयोजित गणतंत्र दिवस परेड में उत्तराखंड की झांकी ‘मानसखंड’ को देशभर की झांकियों में प्रथम स्थान मिला है। गणतंत्र दिवस पर यह झांकी केएस चौहान (टीम लीडर) के नेतृत्व में प्रस्तुत की गई।
राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ किया गया है। नाम बदलने के बाद कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस की पहली परेड हुई, इस परेड में उत्तराखंड की झांकी मानसखंड को देश मे प्रथम स्थान मिला, इस तरह से उत्तराखंड राज्य का नाम इतिहास में दर्ज हो गया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस उपलब्धि के लिए प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि यह उपलब्धि हम सबके लिए गौरवशाली पल है। पुराणों में गढ़वाल का केदारखंड और कुमाऊं का मानसखंड के रूप में वर्णन किया गया है। स्कंदपुराण में मानसखंड के बारे में बताया गया है। जागेश्वर मंदिर की धार्मिक मान्यता है।
प्रधानमंत्री ने हमेशा अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करने की बात कही है। प्रधानमन्त्री के नेतृत्व में सांस्कृतिक नव जागरण में उत्तराखंड सरकार भी काम कर रही है। मानसखंड मंदिर माला मिशन योजना भी इसी दिशा में महत्वपूर्ण पहल है। “मानसखण्ड” मंदिर माला मिशन के तहत चार धाम की तर्ज पर कुमाऊं क्षेत्र के पौराणिक मंदिरों को विकसित किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने सुझाया था झांकी का विषय
भारत सरकार को भेजी गई झांकी का विषय/टाइटिल ‘मानसखंड’ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सुझाया था। उन्होंने मंदिर माला मिशन के तहत मानसखंड के रूप में इस विषय का सुझाव दिया था।
गणतंत्र दिवस से पहले मुख्यमंत्री ने दिल्ली जाकर किया था झांकी का निरीक्षण
दिल्ली कैंट में जब झांकी का निर्माण किया जा रहा था तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने झांकी का निरीक्षण करते हुए झांकी को उत्कृष्ट व राज्य की संस्कृति के अनुरुप बनाने के लिये सूचना विभाग के संयुक्त निदेशक/नोडल अधिकारी केएस चौहान को निर्देश दिए थे। साथ ही झांकी के कलाकारों से मिलकर उनको शुभकामनाएं भी दी थीl
कलाकार दिन-रात करते हैं मेहनत
झांकी के निर्माण और झांकी में सम्मिलित कलाकार दिन-रात मेहनत करते है। झांकी निर्माण का काम 31 दिसंबर को शुरू किया गया था, जिसको सुबह 4 बजे से रात 12 बजे तक किया जाता है। साथ ही झांकी में सम्मिलित कलाकारों को टीम लीडर के साथ कड़ाके की सर्दी में कर्तव्य पथ रिहर्सल के लिए 4 बजे जाना होता है।
ऐसे होता है झांकी का अंतिम चयन
सितंबर में भारत सरकार की ओर से सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों व मंत्रालयों से प्रस्ताव मांगे जाते हैं।अक्टूबर तक राज्य सरकारें विषय का चयन कर प्रस्ताव भारत सरकार को भेजती है, उसके बाद भारत सरकार प्रस्तुतिकरण के किये आमंत्रित करती है। पहली बार की मीटिंग में विषय के आधार चार्ट पेपर में डिजाइन तैयार कर प्रस्तुत करना होता है। आवश्यक संशोधन करते हुए तीन बैठकें डिजाइन निर्माण के लिए होती हैं, जिन प्रदेशों के डिजाइन कमेटी को सही नहीं लगते हैं, उनको शार्टलिस्ट कर देती है। उसके बाद झांकी का मॉडल बनाया जाता है। मॉडल के बाद थीम सॉंग 50 सेकंड का जो उस प्रदेश की संस्कृति को प्रदर्शित करता हो तैयार किया जाता है। जब सभी स्तर से भारत सरकार की विशेषज्ञ समिति संतुष्ट हो जाती है, तब झांकी का अंतिम चयन किया जाता है।
मानसखंड की झांकी में क्या था खास जो प्रथम स्थान प्राप्त किया
गढ़वाल की चारधाम यात्रा की भांति सरकार कुमाऊं में मंदिर माला मिशन के तहत पर्यटन बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं। इसको देखते हुए ही प्रसिद्ध पौराणिक जागेश्वर धाम को दिखाया गया था। उत्तराखंड का प्रसिद्ध कॉर्बेट नेशनल पार्क, बारहसिंगा, उत्तराखंड का राज्य पशु कस्तूरी मृग, गोरल, देश की राष्ट्रीय पक्षी मोर (जो उधमसिंह नगर में पाई जाती है), उत्तराखंड का प्रसिद्ध पक्षी घुघुती, तीतर, चकोर, मोनाल आदि के साथ उत्तराखंड की प्रसिद्ध ऐपन कला को प्रदर्शित किया गया था। झांकी के आगे और पीछे उत्तराखंड का नाम भी ऐपन कला से लिखा गया था। जागेश्वर धाम के मंदिर घनघोर देवदार के वृक्षों के बीच में है। इसलिए झांकी में मंदिर के आगे और पीछे घनघोर देवदार के वृक्षोँ का दृश्य तैयार किया गया था।
मंदिर माला मिशन से वाकिफ होंगे देश-विदेश के पर्यटक
मानसखंड खंड की झांकी को देश में प्रथम स्थान प्राप्त होने से कुमाऊं क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। क्योंकि, देश-विदेश के पर्यटको को मंदिर माला मिशन की जानकारी होने से वह कुमाऊं का रुख करेंगे। ऐसे में गढ़वाल मंडल के साथ अब कुमाऊं मंडल में भी धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
झांकी में कलाकारों ने निभाई अहम भूमिका
टीम लीडर संयुक निदेशक केएस चौहान के नेतृत्व में झांकी में उत्तराखंड की कला और संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए उत्तराखंड का प्रसिद्ध छोलिया नृत्य करने में पिथौरागढ़ के भीम राम के दल के 16 कलाकारों का उत्कृष्ट प्रदर्शन रहा। उत्तराखंड को देवभूमि के साथ ही योग भूमि भी कहा जाता है। झांकी के ऊपर बारु सिंह और अनिल सिंह ने योग किया।
झांकी का थीम सांग जय हो कुमाऊं, जय हो गढ़वाल
झांकी का थीम सांग ‘जय हो कुमाऊं’, जय हो गढ़वाल’ को पिथौरागढ़ के प्रसिद्ध जनकवि जनार्दन उप्रेती ने लिखा था, उसको सौरभ मैठाणी व साथियों ने सुर दिया। इस थीम गीत के निर्माता पहाड़ी दगड़िया (देहरादून) थे।
सोशल मीडिया में करोड़ो लोगों ने देखी उत्तराखंड की झांकी
सोसल मीडिया के माध्यम से गणतंत्र दिवस परेड में उत्तराखंड की झांकी मानसखंड को देश विदेश में करोड़ो लोगों ने देखा।
क्या है मानसखंड मन्दिर माला मिशन
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहल पर श्री केदारनाथ और श्री बद्रीनाथ की भांति ही कुमाऊं के प्रमुख पौराणिक महत्व के मंदिर क्षेत्रो में अवस्थापनात्मक विकास के लिए मानसखंड मन्दिर माला मिशन योजना पर काम किया जा रहा है। इन्हें बेहतर सड़कों से जोड़ा जाएगा। इसके साथ ही इस योजना के ज़रिए गढ़वाल और कुमाऊं के बीच सड़क कनेक्टिविटी को भी सुधारा जाएगा ताकि उत्तराखण्ड में गढ़वाल और कुमाऊं के बीच यातायात सुगम हो।
इन मंदिरों का होगा विकास
मानसखंड कॉरिडोर को लेकर मुख्यमंत्री का कहना है कि सरकार विभिन्न क्षेत्रों में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मानसखंड कॉरिडोर पर काम कर रही है। सरकार का प्रयास है कि विभिन्न धार्मिक सर्किटों का विकास किया जाए। इसके तहत प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में आने वाले मुख्य मंदिरों को आपस में जोड़ेंगे व सर्किट के रूप में विकसित करके धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा। पहले चरण में क़रीब 2 दर्जन से अधिक मंदिरों को शामिल किया गया है। इनमें जागेश्वर महादेव, चितई गोलज्यू मंदिर, सूर्यदेव मंदिर, नंदादेवी मंदिर कसारदेवी मंदिर, झांकर सैम मंदिर पाताल भुवनेश्वर, हाटकालिका मंदिर, मोस्टमाणु मंदिर, बेरीनाग मंदिर, मलेनाथ मंदिर, थालकेदार मंदिर, बागनाथ महादेव, बैजनाथ मंदिर, कोट भ्रामरी मंदिर, पाताल रुद्रेश्वर गुफा, गोल्ज्यू मंदिर, निकट गोरलचौड मैदान, पूर्णागिरी मंदिर, वारही देवी मंदिर देवीधुरा, रीठा मीठा साहिब, नैनादेवी मंदिर, गर्जियादेवी मंदिर, कैंचीधाम, चैती (बाल सुंदरी) मंदिर, अटरिया देवी मंदिर व नानकमत्ता साहिब प्रमुख रूप से शामिल किए गए हैं।
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