-विश्वविद्यालय ने उप कुलसचिव पद पर नियमित भर्ती के लिए 4 जनवरी 2022 में विज्ञप्ति जारी की थी। लेकिन, नियुक्ति हो पाती इससे पहले ही शासन ने उसे निरस्त कर दिया।शासन ने विश्वविद्यालय के उप कुलसचिव पद पर नियुक्ति के बजाय पदोन्नति से भरने की आख्या शासन को भेजने के आदेश दिए हैं।
वीरेंद्र डंगवाल “पार्थ”
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उत्तराखंड शासन की ओर से डॉ निधि उनियाल पर की गई अनुचित तबादले की कार्रवाई का हल्ला अभी थमा भी नहीं है। लेकिन, शासन के एक और सचिव ने नया बखेड़ा खड़ा कर दिया है। सचिव ने विश्वविद्यालय में नियमित नियुक्ति के पद को भरने के लिए उसे पदोन्नति से भरने की आख्या देने का आदेश दिया है।
मामला उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय का है। विश्वविद्यालय में उप कुलसचिव के पद पर नियुक्ति होनी है। इसके लिए विश्वविद्यालय ने 4 जनवरी 2022 को विज्ञप्ति जारी की। इसमें काफी सारे आवेदन आए। उनकी स्क्रूटनी हो ही रही थी। लेकिन, कल (31 मार्च) आयुष व आयुष शिक्षा सचिव चंद्रेश कुमार ने विश्वविद्यालय को विज्ञप्ति रद्द करने के आदेश दे दिए। साथ ही आदेश दिए गए कि उप कुलसचिव के पद को पदोन्नति से भरने की आख्या शासन को भेजी जाय।
शासन ने नामित नहीं किया सदस्य
विश्वविद्यालय ने विज्ञप्ति जारी करने के बाद नियुक्ति के लिए समिति गठित की। समिति ही भर्ती करेगी। उसके अध्यक्ष विश्वविद्यालय के कुलपति होते है। जबकि, शासन की ओर से अपर सचिव स्तर का अधिकारी समिति का सदस्य होता है। उसे शासन नामित करता है। विश्वविद्यालय की ओर से सदस्य नामित करने के लिए शासन को कई पत्र लिखे गए। लेकिन, शासन ने आज तक सदस्य नामित नहीं किया।
जबरन पदोन्नति के लिए सांठगांठ
सूत्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय में ही तैनात एक अधिकारी की उप कुलसचिव पद पर पदोन्नति पाने के लिए शासन ने सांठगांठ हुई है। इसलिए उक्त पद पर नियमित नियुक्ति नहीं हो पा रही है। इस समय विश्वविद्यालय ने पद भरने की कार्रवाई की तो शासन ने उसे रोक दिया है।
नियमित भर्ती से ही भरा जाएगा पद
गौरतलब है कि विश्वविद्यालय में उप कुल सचिव का एक ही पद है। इसे नियमित नियुक्ति से ही भरा जाना है। इसे पदोन्नति से नहीं भरा जा सकता। दो पद होते 50 प्रतिशत नियमित भर्ती और 50 प्रतिशत पर नियुक्ति होती यानी एक पद नियमित नियुक्ति से और एक पद पदोन्नति से भरा जाता।
हाई कोर्ट ने 2018 में दिए थे पद भरने के निर्देश
विश्वविद्यालय के उप कुलपति के पद को लेकर मामला नैनीताल हाईकोर्ट में भी है। कोर्ट ने 2018 में 10 दिन के अंदर पद भरने को कहा था। कोर्ट ने पदोन्नति को कहा था। लेकिन, नियमानुसार पदोन्नति से पद नहीं भरा जा सकता। विश्वविद्यालय में कुलसचिव पर शासन और उप कुलसचिव पद पर विश्वविद्यालय नियुक्ति करता है। ऐसे में शासन ने विश्वविद्यालय के कार्यक्षेत्र में हस्तक्षेप करते हुए विज्ञप्ति निरस्त कर नियुक्ति रोक दी है।
4 अप्रैल को कोर्ट हाजिर होंगे सचिव आयुष
नियुक्ति के मामले में हाईकोर्ट में 4 अप्रैल को सुनवाई होनी है। कोर्ट ने उप कुलसचिव पद की वर्तमान स्थिति पूछी है। इसके लिए आयुष शिक्षा सचिव को कोर्ट में हाजिर होना है।
विज्ञप्ति शासन की ओर से रद्द की गई है। इस संबंध में विश्वविद्यालय ने कुलाधिपति को अवगत करा दिया है। जैसे निर्देश मिलेंगे, उसी आधार पर विश्वविद्यालय आगे की कार्रवाई करेगा।
डॉ सुनील जोशी, कुलपति
उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय
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