उत्तराखंड मीमांसा न्यूज (ब्यूरो)। हर्षिल और धराली में 24 घंटे की भारी बारिश कितना कहर बरपा सकती है, उसकी भविष्यवाणी सेटेलाइट अध्ययन के माध्यम से इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग ने पहले ही कर दी थी। इस हिसाब से 24 घंटे की बारिश के बाद धराली और हर्षिल में प्रति सेकेंड 50 से 60 लाख लीटर पानी आया, जो अपने साथ मलबा लाया।
सेटेलाइट तकनीक का उपयोग करके उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में होने वाली प्राकृतिक आपदाओं का समय से पहले आकलन, निगरानी और रोकथाम के लिए उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के तहत इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग के बीच समझौता हुआ था। इसके तहत ही आईआईआरएस ने हर्षिल वैली, भागीरथी के ऊपरी भाग का सेटेलाइट अध्ययन किया हुआ है। आईआईआरएस सेटेलाइट सिस्टम से ग्लेशियर, ग्लेशियर-झीलें, मलबा बहाव, हिमस्खलन और भूस्खलन की निगरानी कर रहा है। इनके आसपास के क्षेत्रों पर संभावित खतरे का आकलन और समय पर जानकारी यूएसडीएमए समेत जिम्मेदार विभागों को दे रहा है ताकि जान-माल का नुकसान कम किया जा सके।
लगातार बढ़ रहा है हिमनद झीलों का आकार
वैज्ञानिकों ने ऊपरी मंदाकिनी, भागीरथी और अलकनंदा बेसिन में सेटेलाइट से नक्शे और खतरा जोन तैयार किए हैं। इसमें बताया गया है कि 2020 से 2023 के बीच इन क्षेत्रों में ग्लेशियर तेजी से घट रहे हैं। भागीरथी का ग्लेशियर 0.22% प्रति वर्ष, मंदाकिनी का 0.7% प्रति वर्ष और ऋषिगंगा का 0.11% प्रति वर्ष सिकुड़ रहा है। उन्होंने मानसून से पहले और बाद दोनों मौसम में हिमनद झीलों का आकार मापा, जो लगातार बढ़ रहा है।
खीरगंगा और हर्षिल में पहले से जमा मलबा भी भारी मात्रा में आया
वैज्ञानिकों ने भारी बारिश के समय संभावित बाढ़ का अनुमान लगाने के लिए फ्लड मैप और पानी भराव का नक्शा तैयार किया। भागीरथी घाटी में 24 घंटे की बारिश की स्थितियों के लिए पानी का बहाव और बाढ़ की गहराई का सिमुलेशन किया गया। इससे स्पष्ट हुआ कि 24 घंटे में अगर 200 मिमी बारिश होगी तो 8000 क्यूमेक्स यानी करीब 80 लाख लीटर प्रति सेकेंड पानी नीचे आएगा। पांच अगस्त को धराली, हर्षिल के ऊपरी क्षेत्रों में करीब 150 मिमी बारिश के हिसाब से स्पष्ट हो रहा है कि प्रति सेकेंड 60 लाख लीटर पानी धराली की खीरगंगा और हर्षिल में आया है, जो अपने साथ भारी मात्रा में पहले से जमा मलबा भी लाया है।
आईआईआरएस ने आशंकाएं भी ग्राफ के माध्यम से दर्शायी
आईआईआरएस ने 2023-24 की अपनी वार्षिक रिपोर्ट में यूएसडीएमए के साथ एमओयू और सेटेलाइट बेस्ड माउंटेन हाजार्ड असेसमेंट एंड मॉनिटरिंग (एमएचएएम) का स्पष्ट उल्लेख किया है, इसमें सभी आशंकाएं भी ग्राफ के माध्यम से दर्शायी गई हैं। खासतौर से हर्षिल वैली में बारिश और उस हिसाब से बाढ़, मलबा और नुकसान की आशंका भी इसमें शामिल है। सवाल ये है कि यूएसडीएमए में एमओयू के आधार पर मिले इस डाटा का विश्लेषण किस स्तर पर बचाव के लिए किया है या नहीं।
रविंद्र जुगरान ने की कार्रवाई न करने के मामले की जांच की मांग
वरिष्ठ भाजपा नेता रविंद्र जुगरान ने उत्तरकाशी के धराली, सुखीटॉप, हर्षिल में आई आपदा के प्रति पहले से आईआईआरएस से सचेत करने के बावजूद कार्रवाई न करने के मामले की जांच करने की मांग मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से की है। उन्होंने आरोप लगाया कि आपदा प्रबंधन विभाग अब घोटाला प्रबंधन विभाग बन चुका है। वह जल्द ही इस संबंध में रिपोर्ट भी मुख्यमंत्री को सौंपने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन विभाग और आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सभी दोषी अधिकारियों को तत्काल चिन्हित किया जाए। उनकी लापरवाही और निष्क्रियता के कारण जो जानमाल की हानि हुई है, उसके लिए इन सभी पर दंडात्मक कार्रवाई करते हुए मुकदमा दर्ज कराया जाए।


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