December 16, 2025

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धराली आपदा : खराब मौसम फिर बना बचाव में बाधा, अब तक 1273 लोगों का रेस्क्यू

धराली में पांच अगस्त की आपदा में तेलगाड से मलबा आने के कारण भागीरथी नदी में कृत्रिम झील बन गई है। यह झील चिंता का विषय बनी हुई है। पोकलेन के माध्यम से मलबा हटाकर झील के पानी की निकासी की योजना बनाई गई थी, इसके लिए अधिकारियों ने निरीक्षण भी किया था। 

उत्तराखंड मीमांसा न्यूज (ब्यूरो)। आपदाग्रस्त धराली में पुलिस ने खोज और बचाव अभियान का दूसरा चरण शुरू कर दिया है। इसके लिए आईजी एसडीआरएफ अरुण मोहन जोशी को इंसीडेंट कमांडर और कमांडेंट एसडीआरएफ अर्पण यदुवंशी को डिप्टी कमांडर बनाया गया है। धराली में फंसे 1273 लोगों को अब तक सुरक्षित निकाल लिया गया है। अब लापता लोगों की तलाश की जाएगी।

डीजीपी दीपम सेठ ने ग्राउंड जीरो पर ज्यादा से ज्यादा तकनीकों और मानव संसाधनों का इस्तेमाल करते हुए खोज और बचाव कार्य करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने इस संबंध में रविवार को पुलिस मुख्यालय में अधिकारियों के साथ बैठक की। डीजीपी ने बैठक में सबसे पहले एडीजी कानून व्यवस्था, आईजी पीएसी, आईजी एसडीआरएफ, टेलीकॉम, फायर आदि अधिकारियों से अब तक के अभियान की जानकारी ली। उन्होंने वहां मौजूद अन्य एजेंसियों और विभागों के साथ समन्वय बनाते हुए फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने के कार्य की प्रशंसा की। इसके आगे अब उन्होंने दूसरे चरण की कार्ययोजना पर चर्चा की। इस चरण में सर्च एंड रेस्क्यू ऑपरेशन पर विशेष फोकस करने के निर्देश दिए।

Dharali disaster Bad weather again became a hindrance in rescue 1273 people rescued so far

 

स्थानीय लोगों और पंचायत प्रतिनिधियों का सहयोग लेने के निर्देश

उन्होंने निर्देश दिए कि ग्राउंड जीरो को डीएम, एसपी, सेना, आईटीबीपी और एनडीआरएफ आदि विभागों और अधिकारियों के साथ मिलकर सेक्टर में बांटा जाए। अलग-अलग सेक्टरों में अधिकारियों को दायित्व बांटकर ठोस रणनीति बनाई जाए। वहां पर एसडीआरएफ, फायर सर्विस और पीएसी की पर्याप्त संख्या में तैनाती के निर्देश दिए। इसके अलावा जो लोग लापता हैं उनकी सूची भी तैयार करने के लिए डीजीपी ने कहा। उन्होंने इस कार्य के लिए स्थानीय लोगों और पंचायत प्रतिनिधियों का सहयोग लेने के निर्देश दिए।

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आधुनिक तकनीकों का प्रयोग करने के लिए कहा

घटनास्थल को रेड फ्लैग करने के बाद वहां पर आधुनिक तकनीकों का प्रयोग करने के लिए कहा गया। डीजीपी ने ड्रोन, थर्मल इमेजिंग कैमरे, विक्टिम लोकेटिंग कैमरे और डॉग स्क्वाड जैसी तकनीकी और मानव संसाधन क्षमता का पूर्ण उपयोग कर सर्च अभियान तेज करने को कहा। साथ ही पुलिस को 24 घंटे अलर्ट मोड पर रहकर हर गतिविधि की रीयल टाइम रिपोर्टिंग सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए ताकि किसी भी आवश्यकता या आपात स्थिति में त्वरित निर्णय लिया जा सके।

 

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यूजेवीएनएल की टीम भी पहुंच गई हर्षिल

सिंचाई विभाग हर्षिल में बनी कृत्रिम झील से पानी की निकासी रास्ता बनाने का काम मैनुअल करने की तैयारी में है। सिंचाई विभाग के अधिकारी और श्रमिक आज हेलिकाप्टर के माध्यम से हर्षिल जाएंगे। अधिकारियों को वहीं पर कैंप करने का भी निर्देश दिया गया है। वहीं झील पर जल निकासी का कार्य करने के लिए यूजेवीएनएल की टीम भी हर्षिल पहुंच गई है।
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भागीरथी में बनी झील चिंता का विषय
पांच अगस्त का आई आपदा में तेलगाड से मलबा आने के कारण भागीरथी में कृत्रिम झील बन गई है। झील चिंता का विषय बनी हुई है। पोकलेन के माध्यम से मलबा हटाकर झील के पानी की निकासी की योजना बनाई गई थी, इसके लिए अधिकारियों ने निरीक्षण भी किया था। रास्ता खुलने और पोकलेन के पहुंचाने में कुछ समय लग सकता है, ऐसे में मलबा हटाकर जल निकासी के लिए मैनुअल काम करने का फैसला लिया गया है।
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अधीक्षण अभियंता (सिंचाई विभाग) संजय राज ने कहा कि हेलिकाप्टर के माध्यम से 20 श्रमिक, एक एई, एक जेई को भेजा जाएगा। यह दल झील में मैनुअल काम और कुछ मुहाना साफ कर पानी की निकासी का रास्ता बनाने की संभावना को देखेगा। यह संभावना मिलती है, तो काम शुरू किया जाएगा। अधिकारी वहीं पर कैंप करेंगे। अभी भी झील से पानी की निकासी हो रही है, ऐसे में चिंता की बात नहीं है।
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सड़क पर बह रहा झील का पानी
भागीरथी में जो कृत्रिम झील बनी है, उसका पानी गंगोत्री हाईवे पर करीब 500 मीटर में बह रहा है। झील का पानी कम होता है, तो आगे रास्ता भी साफ हो सकेगा। पानी के कारण मार्ग खराब हुआ है, उसको बनाने का भी काम करना होगा।
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