जीके पिपिल
देहरादून।
कामना
कोई दिल कोई बस्ती कोई डेरा ना रहे
अब की दीवाली में कहीं अंधेरा ना रहे।
आज हम तुम के सारे अंतर मिट जाएं
समाज में कोई भी मेरा या तेरा ना रहे।
भले कोई रात चांद के बिना बीत जाए
मगर सूरज के बिन कोई सवेरा ना रहे।
प्रीत कुछ ऐसे रच बस जाए जग में कि
सभी लुटने वाले हों कोई लुटेरा ना रहे।
दीवाली की इस खुशी को जाने ना दो
उसका स्थाई हो क्षणिक बसेरा ना रहे।।
More Stories
नगर निकाय चुनाव की तैयारियों में तेजी, इसी सप्ताह जारी होगी चुनावी अधिसूचना
भ्रष्टाचार और मणिपुर हिंसा को लेकर कांग्रेसियों ने किया राजभवन कूच
ज्योतिर्मठ-मलारी हाईवे पर गाडी ब्रिज के नीचे दो शव युवकों के शव मिले