December 23, 2024

Uttarakhand Meemansa

News Portal

तारा पाठक की प्रेरणादायक कहानी… किसान का बेटा

तारा पाठक
हल्द्वानी, उत्तराखंड

किसान का बेटा

कक्षा में सभी बच्चों के पिताजी नौकरी करते थे, एक मेहुल ऐसा था जिसके पिताजी खेती का काम करते थे। सभी सहपाठी मेहुल को ‘किसान का बेटा” कहकर चिढ़ाया करते थे।इस कारण से मेहुल स्कूल जाने से बचना चाहता था।
पिताजी के लाख पूछने पर भी वह कुछ नहीं बताता था।
पढ़ाई-लिखाई में सबसे आगे होने के बावजूद मेहुल अन्य बच्चों से कटा-कटा रहता था।

अन्य दिनों की बात हो तब तो स्कूल जाना टल भी जाता, लेकिन परीक्षाओं के समय स्कूल न जाने की बात पर माता-पिताजी परेशान हो गए।

पिताजी ने मेहुल के साथ स्कूल जाने की बात कही तो वह अनमना सा हो गया।वह नहीं चाहता था कि पिताजी उसके स्कूल आएं और सहपाठी उनको लेकर और चिढ़ाएं।
वह सोचता था औरों के पिताजी जब भी स्कूल आते हैं, कितने अच्छे कपड़े पहनकर आते हैं। उसके पिताजी मुड़े-तुड़े कुर्ते-पायजामे में ही स्कूल आ जाएंगे।

पिताजी को टालने की कोशिश बेकार जाते देखकर मेहुल ने उनको सही बात बताने का निर्णय कर लिया।
किसान का बेटा कहकर चिढ़ाने की बात सुनकर एकबारगी पिताजी को हंसी आ गई।

उन्होंने कहा-“बेटा मेहनत करके खाना शर्म की बात नहीं है। हम कोई गलत काम नहीं कर रहे हैं। तुम्हें गर्व होना चाहिए कि हम अन्न उगाकर लोगों की भूख शान्त करते हैं।

पिताजी ने समझा-बुझाकर मेहुल को स्कूल जाने के लिए तैयार किया।

परीक्षाएं पूरी भी नहीं हुई थी कि इस बीच छूत की बीमारी ‘कोरोना’आ गई। एक दिन प्रधानमंत्री जी ने पूर्णतः लॉक डाउन की घोषणा कर दी। सारे कामकाज ठप हो गए। नौकरी पेशा लोग घर बैठ गए। लोगों के पास कोई काम नहीं था।

मेहुल के पिताजी अपने खेतों में अभी भी मेहनत कर रहे थे। उसके देखा-देखी कई लोग उनसे सब्जियां-अनाज ले जाते थे। यह सब देखकर मेहुल को अपने पिताजी पर गर्व हो आया। वह स्वयं भी उनके साथ खेतों में जाने लगा।

अपने दोस्तों को किसान की अहम् भूमिका के बारे में बताने को उसे लॉक डाउन हटने का इंतजार था।

news