मंदिर में स्थित भोलेनाथ की शिला मूर्ति को बुखला (हिमालयी पुष्प गुच्छ) के फूलों से समाधि दी जाएगी। उसी दिन रुद्रनाथ की डोली विभिन्न पड़ावों से होते हुए 18 किलोमीटर की पैदल दूरी तय कर शीतकालीन गद्दी स्थल गोपेश्वर स्थित गोपीनाथ मंदिर पहुंचेगी।
देहरादून। चतुर्थ केदार रुद्रनाथ मंदिर के कपाट बंद आगामी 17 अक्तूबर को कार्तिक संक्रांति के दिन शीतकाल के लिए बंद हों जाएंगे। उसी दिन रुद्रनाथ की विग्रह डोली पितृधार, पनार, ल्वींठी बुग्याल और ग्वाड़ गांव में जाख देवता के मंदिर से होते हुए सूर्यास्त होने से पहले शीतकालीन गद्दीस्थल गोपीनाथ मंदिर पहुंचेगी। भगवान रुद्रनाथ को लगने वाला राजभोग ल्वींठी बुग्याल में लगाया जाएगा।
रुद्रनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी वेदप्रकाश महादेव भट्ट और पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य ग्वाड़ देवेंद्र सिंह बिष्ट ने बताया कि रुद्रनाथ मंदिर के कपाट 17 अक्तूबर को सुबह छह बजे बंद कर दिए जाएंगे। मंदिर में स्थित भोलेनाथ की शिला मूर्ति को बुखला (हिमालयी पुष्प गुच्छ) के फूलों से समाधि दी जाएगी। उसी दिन रुद्रनाथ की डोली विभिन्न पड़ावों से होते हुए 18 किलोमीटर की पैदल दूरी तय कर शीतकालीन गद्दी स्थल गोपेश्वर स्थित गोपीनाथ मंदिर पहुंचेगी।
12 अक्तूबर से शुरू होगी चंडिका देवी की दिवारा यात्रा
राजा सगर की अधिष्ठात्री देवी मां चंडिका की दिवारा यात्रा 12 अक्तूबर से शुरू होगी। मां चंडिका विभिन्न गांवों का भ्रमण करने के साथ ही 16 अक्तूबर को रुद्रनाथ मंदिर पहुंचेंगी। यहां पूजा-अर्चना के बाद 17 को मां चंडिका की दिवारा यात्रा रुद्रनाथ की उत्सव डोली के साथ ग्वाड़ गांव में स्थित जाख देवता के मंदिर पहुंचेगी। मंदिर समिति के सचिव सत्येंद्र रावत ने बताया कि मां चंडिका की दिवारा यात्रा 19 अक्तूबर को केदारनाथ के लिए प्रस्थान करेगी।
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