December 23, 2024

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विधेयक पास: उत्तराखंड में महिलाओं को मिला 30 आरक्षण, धर्मांतरण रोकने लिए बना कानून भी

-उत्तराखंड में धर्मांतरण कानून अब संज्ञेय व गैर जमानती अपराध की श्रेणी में आ गया है।

विधानसभा सत्र के दूसरे दिन महिला आरक्षण और धर्मांतरण विरोधी विधेयक सदन में पास हो गए। पास होने के बाद दोनों ही विधेयक कानून बन गए हैं। इन्हें लागू करने के लिए अब अधिसूचना जारी की जाएगी।

उत्तराखंड सरकार ने राजकीय सेवाओं में महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए विधानसभा में मंगलवार को विधेयक पेश किया था। बुधवार को इस पर चर्चा के बाद इसे पास कर दिया गया। क्षैतिज आरक्षण का लाभ उस महिला अभ्यर्थी को मिलेगा, जिसका मूल निवास उत्तराखंड में है। लेकिन, उसने अन्य कहीं कोई स्थायी निवास प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया है। यह लाभ उन महिलाओं को भी मिलेगा, जिनके पास राज्य में स्थायी निवास प्रमाण पत्र है। भले ही उनका मूल अधिवास उत्तराखंड में नहीं है।

मुख्यमंत्री के निर्देश पर तैयार हुआ आरक्षण विधेयक

नैनीताल उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर महिलाओं को सरकारी सेवा में दिए जा रहे 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण के दो शासनादेशों को निरस्त कर दिया था। राज्य सरकार ने न्यायालय के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। राज्य की एसएलपी पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। इस बीच सरकार ने महिलाओं के क्षैतिज आरक्षण को बनाए रखने के लिए अधिनियम बनाने का निर्णय लिया। कैबिनेट ने इसके लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत किया था। मुख्यमंत्री के निर्देश पर कार्मिक एवं सतर्कता विभाग ने महिला क्षैतिज आरक्षण विधेयक का प्रस्ताव तैयार किया।

धर्मांतरण पर अब 10 साल तक की सजा

संस्कृति व धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज ने मंगलवार को सदन में उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक 2022 पेश किया था। विधेयक में सामूहिक धर्म परिवर्तन का दोष सिद्ध होने पर 10 साल की गैर जमानती सजा का प्रावधान है। बुधवार को यह विधेयक भी पास हो गया। उत्तराखंड में धर्म परिवर्तन कराने पर दो से सात साल की सजा और 25 हजार जुर्माना होगा। वहीं, सामूहिक धर्मांतरण के मामले में तीन से दस साल तक की सजा होगी। पीड़ितों को कोर्ट के माध्यम से पांच लाख रुपये की प्रतिपूर्ति मिल सकेगी। उत्तराखंड में धर्मांतरण कानून अब संज्ञेय व गैर जमानती अपराध की श्रेणी में आ गया है।

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