– दून विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में छात्र व संकाय सदस्यों के साथ डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (भारत सरकार) के सहयोग से दून विश्वविद्यालय में आयोजित हो रहे स्तुति कार्यक्रम में प्रतिभाग करने वाले 30 प्रतिभागी भी शामिल हुए।
दून विश्वविद्यालय की रिसर्च और इनोवेशन सेल की ओर से विज्ञान प्रचार के लिए डॉ नित्यानंद केंद्र के सभागार में कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शिक्षाविद पद्म भूषण सम्मान प्रो. पी बलराम (पूर्व निदेशक आईआईएससी बेंगलुरु) ने अपने व्याख्यान में साइंस के बारे में लोगों का दृष्टिकोण कैसे निर्धारित होता है, के बारे में विद्यार्थियों के संवाद किया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कोरोनाकाल में साइंस ने किस तरह आमजन की सहायता की।
कार्यक्रम में दून विश्वविद्यालय के छात्र व संकाय सदस्यों के साथ डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (भारत सरकार) के सहयोग से दून विश्वविद्यालय में आयोजित हो रहे स्तुति कार्यक्रम में प्रतिभाग करने वाले 30 प्रतिभागी भी शामिल हुए।
प्रो. पी बलराम ने कहा कि विज्ञान द्वारा विकास के लिए तीन स्तंभ आवश्यक है, जिसमें थ्योरी, डाटा और संचार सम्मिलित है। उन्होंने विज्ञान के विकास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में एस्टॉनोमी विज्ञान के तौर पर स्थापित थी। सीमित संसाधनों में शोध करना अतीत में हमेशा से चुनौतीपूर्ण रहा है। जैसे-जैसे विज्ञान विकसित हुआ वैसे नए-नए उपकरणों ने वैज्ञानिकों की अवलोकन और विश्लेषण क्षमता बढ़ा दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी देश का विकास विज्ञान के विकास से जुड़ा होता है। प्रो बलराम ने डिस्कवरी, इन्वेंशन व इनोवेशन के अंतर को बारीकी से समझाया। उन्होंने कल्चरल इवोल्यूशन व बायोलॉजिकल इवोल्यूशन पर भी प्रकाश डाला। बताया कि विज्ञान व तकनीक के उपयोग की वजह से गत 50 वर्षों में कल्चरल इवोल्यूशन बहुत तेजी के साथ हुआ है।
दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने कहा कि प्रो पी बलराम शिक्षक ही नहीं अपितु अपने आप में ज्ञान का संस्थान है। उनका दून विश्वविद्यालय में आना हमारे लिए गौरव का क्षण है। प्रो पी बलराम द्वारा दी गई जानकारी विश्वविद्यालय के अंदर ऐसा इकोसिस्टम विकसित करने में सहायता प्रदान करेगा, जिसमें शोधार्थी व वैज्ञानिक सोच को बढ़ाते हुए बेहतर तरीके से अनुसंधान कर सकेंगे। शोध से सृजित किए गए ज्ञान को सर्वसुलभ बनाना, प्रसारित और प्रचारित करने में कार्य करेंगे। उच्च शिक्षण संस्थानों में उत्कृष्ट शोध समय की आवश्यकता है। आत्मनिर्भर भारत के लिए विज्ञान की उपयोगिता सर्वोपरि है, यही राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य भी है।
रिसर्च और इनोवेशन सेल के कोऑर्डिनेटर डॉ अरुण कुमार ने कहा कि दून विश्वविद्यालय में शोध करने के लिए अनुकूल माहौल है। यहां के शोधार्थी व विद्यार्थी न केवल भारत के उत्कृष्ट उच्च संस्थानों में अपनी प्रतिभा का लोहा बना रहे हैं। बल्कि, विदेशी संस्थानों में भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं। दून यूनिवर्सिटी के उच्च नेतृत्व और प्रशासन के अतुलनीय सहयोग से शोध के लिए इको सिस्टम विकसित हुआ है, जिसका लाभ विद्यार्थी और शोधार्थी ले पा रहे हैं।
कार्यक्रम का संचालन डॉ हिमानी शर्मा ने किया। विश्वविद्यालय के डीएसडब्ल्यू प्रो. एचसी पुरोहित, डॉ चारू द्विवेदी, डॉ राजेश भट्ट, डॉ प्रीति मिश्रा जोशी, डॉ चेतना पोखरियाल, डॉ विजय श्रीधर, डॉ विपिन सैनी, डॉ उज्जवल कुमार, डॉ अर्चना शर्मा, अन्य संकाय सदस्य के साथ 400 से ज्यादा विद्यार्थी और शोधार्थी मौजूद रहे।
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