वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ”
कवि/गीतकार
9412937280,7906483038
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1-
मात भारती को हाथ जोड़ के प्रणाम मेरा
चरणों में उनके जी शतश नमन है।
पावन पुनीता धरा रही विश्व जननी जो
माथ से लगाऊं ऐसी माटी को नमन है।
कान्हा की मुरलिया जी गूंजती है आज तक
अवध तो राम जी के नाम का चमन है।
नानक गौतम बुद्ध उपजे है यह धरा
ध्रुव से हमारे ही तो रोशन गगन है।।
2-
प्रणाम मात भारती उतारते हैं आरती
चरण कमल धरें ये स्वीकार कीजिए।
वंदनीय मातृभूमि विश्व में विजेता बनें
नेह देह दे सकें ये अधिकार दीजिए।
दूत बन जाएं हम शांति औे अहिंसा के
पावन सी मन में ये गंग धार दीजिए।
ईश से निवेदन है हाथ जोड़ इतना ही
पावनी धरा पे जन्म बार बार दीजिए।।
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