December 19, 2025

Uttarakhand Meemansa

News Portal

कवि सुलोचना परमार उत्तरांचली की एक रचना …बरसात प्रिये

सुलोचना परमार
देहरादून, उत्तराखंड


———————————————————————–

बरसात प्रिये

छम छम करती जब आईं तुम
बदन से सबके लिपट गई।
प्यासी धरती मानव की तुम
सभी की प्यास तो बुझा गई।

गर्मी से राहत मिली सभी को
सुन, हे मेरी बरसात प्रिये।
हरियाली धरती पर छाई ।
तेरी, भली लगी सौगात प्रिये।

बहुत ही सुंदर लगती हो
जब मंद मंद मुस्काती हो।
अपने छींटे बौछारों से
सबको खुश कर जाती हो।

प्यार से तुम तो जब भी बरसीं
धरती का यौवन खिल उठा।
क्रोध से देखा जब भी तुमने
धरती का जीवन दहल उठा।

त्राहि त्राहि मचा दी तूने
क्यों मेरी बरसात प्रिये?
नदियां उफान पर बह रही
टूटे उनके तट बंध प्रिये।

कहीं कहीं ये तांडव तुम्हारा
मानव,पशु को बहा ले गया।
घर से बेघर हुए अधिकतर
क्या ये खुशी तुझे दे गया?

news