भगवद चिन्तन … बोध युक्त जीवन
पदार्थों में समस्या नहीं है, हमारे उपयोग करने में समस्या है। कभी-कभी विष की एक अल्प मात्रा भी दवा का काम करती है। जबकि, दवा की अत्याधिक मात्रा भी विष बन जाती है। विवेक से, संयम से, जगत का भोग किया जाये तो कहीं समस्या नहीं है।
संसार का विरोध करके कोई इससे मुक्त नहीं हुआ। बोध से ही इससे ज्ञानीजनों ने पार पाया है। संसार को छोड़ना नहीं, बस समझना है। परमात्मा ने पेड़-पौधे, फल-फूल, नदी, वन, पर्वत, झरने और न जाने क्या- क्या हमारे लिए नहीं बनाया? हमारे सुख के लिए, हमारे आनंद के लिए ही तो सबकी रचना की है।
अस्तित्त्व में निरर्थक कुछ भी नहीं है। हर वस्तु अपने समय पर और अपनी स्थिति में श्रेष्ठ है। हर वस्तु भगवान् की है, कब, कैसे, कहाँ, क्यों और किस निमित्त उसका उपयोग करना है, यह समझ में आ जाये तो जीवन को महोत्सव बनने में देर नहीं लगेगी।
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