भगवद चिन्तन … श्रेष्ठ विचार
किसी से बदला लेने का नहीं अपितु स्वयं को बदल डालने का विचार ज्यादा श्रेष्ठ है। महतवपूर्ण यह नहीं कि दूसरे आपको गलत कहते हैं अपितु यह कि आप स्वयं गलत नहीं करते हैं।
बदले की आग दूसरों को कम स्वयं को ज्यादा जलाती है। बदले की आग उस मशाल की तरह है, जिसे दूसरों को जलाने से पहले स्वयं को जलना पड़ता है। इसलिए सहनशीलता और समत्व के शीतल जल से जितनी जल्दी हो सके, इस आग को रोकना ही बुद्धिमत्ता है।
बदले की भावना आपके समय को ही नष्ट नहीं करती अपितु आपके स्वास्थ्य तक को नष्ट कर जाती है। दुनिया को बदल पाना बड़ा मुश्किल है, इसलिए स्वयं को बदलने में ऊर्जा लगाना ही सुखी होने का और सफल होने का एकमात्र उपाय है। श्रेष्ठ विचार ही श्रेष्ठ जीवन का निर्माण करते हैं। आपके विचार जितने श्रेष्ठ होंगे निश्चित ही आपका जीवन भी उतना ही श्रेष्ठ बन जाता है।
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