December 18, 2025

Uttarakhand Meemansa

News Portal

भगवत चिंतन: दुःख का मूल कारण हमारी आवश्कताएं नहीं हमारी इच्छाएं हैं

भगवद चिन्तन … आनंद पथ 

सुखी जीवन जीने का सिर्फ एक ही रास्ता है, वह है अभाव की तरफ दृष्टि न डालना। आज हमारी स्थिति यह है जो हमे प्राप्त है उसका आनंद तो लेते नहीं, वरन जो प्राप्त नहीं है उसका चिन्तन करके जीवन को शोकमय कर लेते हैं।

दुःख का मूल कारण हमारी आवश्कताएं नहीं हमारी इच्छाएं हैं। हमारी आवश्यकताएं तो कभी पूर्ण भी हो सकती हैं मगर इच्छाएं नहीं। इच्छाएं कभी पूरी नहीं हो सकतीं और न ही किसी की हुईं आज तक। एक इच्छा पूरी होती है तभी दूसरी खड़ी हो जाती है।

इसलिए शास्त्रकारों ने लिख दिया – आशा हि परमं दुखं नैराश्यं परमं सुखं

दुःख का मूल हमारी आशा ही हैं। हमे संसार में कोई दुखी नहीं कर सकता, हमारी अपेक्षाएं ही हमे रुलाती हैं। अति इच्छा रखने वाले और असंतोषी हमेशा दुखी ही रहते हैं।

news