-गर्मी के कारण गेहूं की पैदावार में कमी दर्ज की गई है। रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से भी विश्व में गेहूं की डिमांड बढ़ गई है। इस कारण कई सौ मीट्रिक टन गेहूं निर्यात किया जा चुका है। अब भारत सरकार ने गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। गेहूं का उत्पादन कम होने के कारण भारत सरकार ने पीले राशन कार्डधारकों के कोटे में गेहूं की कटौती कर दी है। भारत सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के अपर सचिव अरुण कुमार ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को पत्र भेजा है।
उत्तराखंड में पीले राशन कार्डधारकों को जून 2022 से मार्च 2023 तक गेहूं की जगह चावल का वितरण किया जाएगा। भारत सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के अपर सचिव ने इसके आदेश जारी कर दिए हैं। अभी पीले राशन कार्डधारकों को पांच किलो गेहूं 8.60 रुपये प्रतिकिलो और 2.5 किलो चावल 11 रुपये प्रतिकिलो की दर से दिया जाता था। प्रदेश में 995858 पीले राशन कार्डधारक हैं।
गर्मी के कारण गेहूं की पैदावार में कमी दर्ज की गई है। रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से भी विश्व में गेहूं की डिमांड बढ़ गई है। इस कारण कई सौ मीट्रिक टन गेहूं निर्यात किया जा चुका है। अब भारत सरकार ने गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। गेहूं का उत्पादन कम होने के कारण भारत सरकार ने पीले राशन कार्डधारकों के कोटे में गेहूं की कटौती कर दी है।
भारत सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के अपर सचिव अरुण कुमार ने इस संबंध में उत्तराखंड के मुख्य सचिव को पत्र भेजा है। पत्र में कहा कि पीले राशन कार्डधारकों को अब गेहूं की जगह चावल का वितरण किया जाएगा। यह आदेश जून 2022 से लेकर मार्च 2023 तक लागू रहेगा।
गेहूं की जगह अब चावल मिलेगा
राज्य में पीले राशन कार्डधारकों को अब तक 5 किलो गेहूं और ढाई किलो चावल मिलता था। अब राज्य के पीले राशनकार्ड धारकों को साढ़े 7 किलो चावल मिलेगा। केंद्र सरकार राज्य के पीले राशन कार्डधारकों के लिए प्रतिमाह 5669 मीट्रिक टन गेहूं और 2792 मीट्रिक टन चावल का आवंटन करती थी। जून से मार्च 2023 तक पीले राशन कार्डधारकों को 8461 मीट्रिक टन चावल का आवंटन किया जाएगा।
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