December 25, 2024

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ज्ञानवापी सर्वे: मस्जिद कमेटी पक्ष के विरोध चलते शुरू नहीं हो सकी कार्रवाई, फोर्स तैनात

-ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी समेत कई विग्रहों के सर्वे और वीडियोग्राफी का आज दूसरा दिन है। मस्जिद कमेटी  सर्वे के खिलाफ पहुंची कोर्ट 

(Uttarakhand Meemansa News)। वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी समेत कई विग्रहों के सर्वे और वीडियोग्राफी के लिए आज टीम पहुंची। मगर, काम शुरू नहीं हो सका। मस्जिद कमेटी के अधिवक्ताओं ने सर्वे का विरोध किया। ज्ञानवापी परिसर से बाहर आए सर्वे कमिश्नर ने कहा कि हमें बैरिकेडिंग के अंदर नहीं जाने दिया गया। मस्जिद कमेटी के लोग दरवाजे पर आकर खड़े हो गए। सर्वे फिर रूक गया है। 9 मई की सुनवाई में पक्ष रखा जाएगा।

उन्होंने कहा कि कोर्ट में स्थानीय प्रशासन के खिलाफ शिकायत नहीं की जाएगी। इससे पहले सर्वे के लिए टीम पहुंची थी तो परिसर के बाहर माहौल बिगाड़ने की कोशिश हुई। 4 बजे की नमाज के बाद बड़ी संख्या में मुस्लिम पहुंचे और नारेबाजी शुरू कर दी। नारेबाजी कर रहे युवकों को पुलिस ने समझा कर हटाया।

एक हिरासत में, भारी पुलिस बल तैनात

पुलिस ने एक को हिरासत में लिया है। पूछताछ में उसकी पहचान अब्दुल कलाम के तौर पर हुई। इधर, शुक्रवार को हुए हंगामे को देखते हुए चौक क्षेत्र में भारी पुलिस बल तैनात है। चप्पे-चप्पे पर पैनी नजर रखी जा रही है।

9 मई को होगी मामले की अगली सुनवाई

इस कार्रवाई को एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कानून का उल्लंघन करने वाला बताया। वहीं, मस्जिद कमेटी पक्ष ने कोर्ट कमिश्नर पर पक्षपात का आरोप लगा, अदालत से उन्हें बदलने की मांग की है। उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि सर्वे कमिश्नर और वादी पक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करें। इस मामले की अगली सुनवाई 9 मई को होगी।

खसरा नंबर 9130 के सर्वे के आदेश

श्रृंगार गौरी में दर्शन पूजन करने के लिए वाद दाखिल करने वाली महिलाओं के अधिवक्ता शिवम गौड़ ने बताया कि शुक्रवार को शुरू हुआ सर्वे का काम रविवार तक पूरा होने की संभावना है। बताया कि हाईकोर्ट ने खसरा नंबर 9130 के सर्वे के आदेश दिए हैं। आदेश में पूरे खसरे के सर्वे का आदेश है, जिसमें संपूर्ण ज्ञानवापी मस्जिद परिसर और शृंगार गौरी समाहित हैं। इतने बड़े क्षेत्र के सर्वे में 3 दिन का समय लग सकता है।

वर्ष 1992 तक मां शृंगार गौरी के दर्शन-पूजन की थी अनुमति 

अदालत में मुकदमा दाखिल करने वाली महिलाओं सीता साहू, मंजू व्यास, राखी सिंह ने बताया कि वर्ष 1992 तक मां शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की अनुमति थी। महिलाओं ने पुलिस से सुरक्षा की गुहार लगाई थी। सर्वे को देखते हुए वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट के 10 थानों की फोर्स और लोकल इंटेलिजेंस यूनिट को अतिरिक्त सतर्कता के साथ माहौल पर नजर रखने के लिए कहा है।

अदालत का हालिया आदेश मुस्लिम विरोधी

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को ट्वीट कर कहा कि ज्ञानवापी-शृंगार गौरी परिसर के सर्वेक्षण पर अदालत का हालिया आदेश रक्तपात और मुस्लिम विरोधी हिंसा का रास्ता खोल रहा है। अदालत के आदेश की निंदा करते हुए ओवैसी ने ट्वीट में कहा कि काशी की ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण करने का यह आदेश 1991 के पूजा स्थल अधिनियम का खुला उल्लंघन है, जो धार्मिक स्थलों के रूपांतरण पर रोक लगाता है। सरकार का कर्तव्य है कि वो कोर्ट के बताए कि वह गलत क्यों कर रही है।

एक अन्य ट्वीट में लिखा कि अयोध्या के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अधिनियम भारतीय राजनीति की धर्मनिरपेक्ष विशेषताओं की रक्षा करता है जो संविधान की बुनियादी विशेषताओं में एक है। ओवैसी का बयान अदालत के एक आयुक्त के वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद में अदालत के आदेश के अनुसार परिसर का सर्वेक्षण और वीडियोग्राफी करने के एक दिन बाद आया है।

शुक्रवार को पौने चार घंटे तक सर्वे और वीडियोग्राफी हुई

शुक्रवार को अदालत के आदेश पर ज्ञानवापी परिसर में पौने चार घंटे तक सर्वे और वीडियोग्राफी हुई। इस दौरान बाहर सड़क पर दोनों पक्षों की ओर से जमकर नारेबाजी हुई। सर्वे के दौरान आसपास की दुकानें लोगों ने बंद रखीं। कार्यवाही के लिए नियुक्त अधिवक्ता आयुक्त अजय कुमार मिश्र अन्य लोगों के साथ शुक्रवार को सवा तीन बजे सर्वे के लिए परिसर में पहुंचे और शाम 7 बजे बाहर निकले। कमीशन को अपनी रिपोर्ट 10 मई को जिला अदालत को देनी है। मां शृंगार गौरी के दर्शन-पूजन को लेकर दायर याचिका पर जिला अदालत ने कमीशन बैठाकर सर्वे व वीडियोग्राफी का आदेश दिया है। पुलिस की कड़ी सुरक्षा में कमीशन की कार्यवाही शुरू हुई। ज्ञानवापी पहुंचे अधिवक्ताओं की भी जांच की गई। इसके बाद अंदर प्रवेश दिया गया। शुक्रवार और सर्वे के चलते परिसर के पास अधिक भीड़ रही। जिस समय सर्वे शुरू हुआ, उस दौरान एहतियातन आसपास की दुकानें लोगाें ने बंद कर दीं। पुलिस की ओर से भरोसा दिलाने के बाद आसपास को छोड़कर बाकी दुकानें खुल गईं।

दर्शन-पूजन की अनुमति के साथ देवी-देवताओं के विग्रहों को रखा जाए सुरक्षित

नई दिल्ली की राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास व रेखा पाठक की ओर से 18 अगस्त 2021 को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में वाद दाखिल किया गया था। कहा गया है कि भक्तों को मां शृंगार गौरी के दैनिक दर्शन-पूजन व अन्य अनुष्ठान करने की अनुमति के साथ ही परिसर में स्थित अन्य देवी-देवताओं के विग्रहों को सुरक्षित रखा जाए। वाद में प्रदेश सरकार के अलावा जिलाधिकारी, पुलिस आयुक्त, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी और काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को पक्षकार बनाया गया। वाद पर मौके की वस्तुस्थिति जानने के लिए सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने 9 अप्रैल को अधिवक्ता आयुक्त नियुक्त कर कमीशन कार्यवाही का आदेश दिया। कोर्ट ने पुलिस आयुक्त को पर्याप्त सुरक्षा के लिए निर्देशित किया था।

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