December 16, 2025

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टिहरी की यादों को संजोने के लिए झील के पास बनाई जाएगी टिहरी की प्रतिकृति : सुबोध उनियाल

टिहरी स्मृति एवम विस्थापित एकता मंच ने बुधवार को टिहरी स्मृति दिवस 2025 पर विचार गोष्ठी व सांस्कृतिक कार्यक्रम का किया आयोजन। टिहरी स्मृति एवम विस्थापित एकता मंच की अध्यक्ष व दर्जा राज्य मंत्री विनोद उनियाल लंबे समय से टिहरी की यादों को संजोने के लिए कर रही हैं काम।

उत्तराखंड मीमांसा न्यूज (ब्यूरो)। संस्कृतियां कभी मरती नहीं हैं, वह सदा अमर रहती है। इसी तरह टिहरी भले ही देश के विकास यानी बांध के कारण डूब गई हो। लेकिन, टिहरी कभी मर नहीं सकती, टिहरी की संस्कृति कभी मर नहीं सकती। वन मंत्री सुबोध उनियाल ने यह बात टिहरी स्मृति दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि कही। उनियाल ने कहा कि टिहरी की यादों को अमरत्व देने का काम किया जाएगा। टिहरी आज भी जीवंत हैं, इसकी स्मृति को बनाए रखने लिए टिहरी झील के पास टिहरी शहर व विस्थापित गांवों की प्रतिकृति बनाई जायेगी। जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र होने के साथ ही इतिहास को भी संजोने का काम करेगी।

टिहरी स्मृति एवम विस्थापित एकता मंच ने बुधवार को टिहरी स्मृति दिवस 2025 पर विचार गोष्ठी और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया। प्रिंस चौक के पास सिद्धार्थ होटल में आयोजित कार्यक्रम में टिहरी बांध विस्थापितों ने टिहरी की यादों को ताजा किया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि सुबोध उनियाल, विशिष्ट अतिथि मेयर सौरभ थपलियाल, कार्यक्रम अध्यक्ष पूर्व आईजी एसएस कोठियाल और टिहरी स्मृति एवम विस्थापित एकता मंच की अध्यक्ष व दर्जा राज्य मंत्री विनोद उनियाल ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इसके बाद नंदा देवी ग्रुप के लोक कलाकारों ने मांगल ‘जौ जस देंयां खोली का गणेश जौ जस देंयां पंचनाम देवा हो’ गया। समाजसेवी सुबोध बहुगुणा, जिन्होंने टिहरी की स्मृतियों को संजोते हुए देहरादून स्थित अपने घर में टिहरी की प्रतिकृति बनाई हैं।

उन्होंने सुझाव रखते हुए मांग की कि टिहरी झील के पास सरकार की ओर से टिहरी की प्रतिकृति बनाई जाय ताकि टिहरी की यादों को संजोया जा सके। कवि/ साहित्यकार वीरेन्द्र डंगवाल ‘पार्थ’ ने बहुगुणा के विचारों से सहमति हुए कैबिनेट मंत्री सुबोध के समझ सुझाव रखा कि झील के पास विस्थापित हुए गाजना गांव में टिहरी की प्रतिकृति बनाई जाय। जिस पर सहमति जताते हुए कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि डीएम टिहरी से इस संबंध में जल्द वार्ता करेंगे और यह कार्य पूरा किया जाएगा।
इसके बाद वीरेन्द्र डंगवाल पार्थ ने काव्यपाठ किया। उन्होंने देश की पावन भूमि को समर्पित छंद ‘धड़के है दिल मात भारती के नाम से ही देश भावना का यशगान लिख दीजिए’ और ‘मात भारती को हाथ जोड़ के प्रणाम मेरा’ सुनाकर तालियां बटोरी। वहीं, टिहरी की यादों को समेटे गीत से लोगों की आंखें नम कर दी। उन्होंने पढ़ा कि ‘छूट गया वो नदी किनारा, छूटी बहती अविरल धारा, छूट गया घर आंगन मेरा, छूटा मुझसे पहाड़ सारा’। इसके बाद डॉ मुनीराम और नीता कुकरेती ने भी काव्य पाठ किया।

टिहरी स्मृति एवम विस्थापित एकता मंच की अध्यक्ष व दर्जा राज्य मंत्री विनोद उनियाल ने कहा कि टिहरी के लोगों ने राष्ट्रहित के लिए अपने घर द्वार का बलिदान दिया है। उनकी स्मृतियों को संजोया जा सके, इसलिए टिहरी स्मृति एवम विस्थापित एकता मंच का गठन किया गया। मंच समय पर टिहरी की स्मृति को बनाए रखने के लिए कार्यक्रम आयोजित करता है। जिसमें टिहरी पर विचार गोष्ठी, टिहरी पर आधारित गीतों और विस्थापित क्षेत्र के समाज सेवियों को सम्मानित किया जाता है। उन्होंने कहा कि टिहरी की स्मृतियों को बनाए रखने के लिए निरंतर आयोजन किए जाते रहेंगे।

विशिष्ट अतिथि मेयर सौरभ थपलियाल ने आयोजन लिए मंच की अध्यक्ष श्रीमती विनोद उनियाल और उनकी पूरी टीम को बधाई दी। उन्होंने टिहरी को याद करते हुए कहा कि टिहरी की कई स्मृतियां उनके जेहन में भी हैं। देश के विकास में टिहरी के योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि टिहरी को यादों संजोने के लिए जहां भी उनकी जरूरत होगी, वह पूरा सहयोग करेंगे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए एसएस कोठियाल ने कहा कि टिहरी के लोग ही नहीं आसपास के लोगों की यादों में भी टिहरी बसी हैं, उन्होंने कई संस्मरण भी सुनाए। उन्होंने कहा कि सुबोध उनियाल कर्मठ व जुझारू व्यक्तित्व हैं। उनके शब्दकोश में ना या असंभव जैसा शब्द नहीं है। उन्होंने कह दिया तो टिहरी की प्रतिकृति जरूर बन जाएगी।
कार्यक्रम में बीज बचाओ आंदोलन के विजय जड़दारी, ऊर्जा के क्षेत्र में प्रमोद बहुगुणा व मीनू बहुगुणा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में डॉ प्रियांक उनियाल आदि को सम्मानित किया गया। अंत में अरुण जोशी ने सभी धन्यवाद प्रस्ताव ज्ञापित किया। संचालन प्रधानाचार्य प्राची जुयाल ने किया।

इस अवसर पर सुबोध बहुगुणा, हरिओम ओमी, मंच के संस्थापक अध्यक्ष आरडी रतूड़ी, डॉ एमपी भट्ट, देवी प्रसाद भट्ट, केके ओबराय, हरिओम ओमी, लाखीराम कोठियाल, पल्लवी पैन्यूली, सीएस पंवार, अर्चना बागड़ी, नीलम कपरवान, उषा नेगी कवि/गीतकार वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ”, जमुना प्रसाद डंगवाल, शिव प्रसाद डोभाल आदि मौजूद रहे।

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