देहरादून। हिंदी और गढ़वाली की समृद्ध रचनाकार प्रेमलता सजवाण लिखित/संपादित कहानी संग्रह नन्हें कलमकार का लोकार्पण रविवार को प्रिंस हनी रेस्टोरेंट धर्मपुर हरिद्वार रोड में हुआ। संग्रह में प्रेमलता सजवाण और सरकारी विद्यालय के बच्चों की कहानियां हैं।
लोकार्पण समारोह में मुख्य अतिथि अपर राज्य परियोजना निदेशक समग्र शिक्षा उत्तराखंड कुलदीप गैरोला ने कहा कि संग्रह की कहानियां उन्होंने पढ़ी हैं, बच्चों में बहुत संवेदना है। जो कहानी और नए रचनाकार सामने आए हैं। यह प्रेमलता सजवाण का प्रयास है, जो बहुत अच्छा है। कहा कि आज बच्चे अपनी भाषा भूल रहे हैं। जो अपनी भाषा भूल जाता है, वह अपनी संस्कृति भी भूल जाता है। इसे समझने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि स्थानीय लेखक की किताब जरूर खरीदें, इससे आपको स्थानीयता का ज्ञान होगा। वर्तमान शिक्षा व्यवस्था पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि बीटेक वाले बच्चे हमारे नहीं हैं, अमेरिका के हैं। इसे समझने की जरूरत है। बच्चो को अपने गांव से अपनी संस्कृति से जोड़ें।
विशिष्ट अतिथि मुख्य शिक्षा अधिकारी शिव प्रसाद सेमवाल ने कहा कि प्रेमलता ने बहुत अच्छा काम किया है। उन्होंने पुस्तक के माध्यम से बच्चों को मंच दिया है, जो बहुत महत्वपूर्ण है। कहा कि स्कूलों में बच्चे भाषा के कौशल तक नहीं पहुंच पाते। हम आज यांत्रिक हो गए और बच्चे भाषा के कौशल से पिछड़ गए। यह पीड़ादायक है, इस पर विचार की जरूरत है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए लोकेश नवानी ने कहा कि प्रेमलता ने बच्चों की दृष्टि को उजागर करने का काम किया है। कहा कि वर्तमान में संवेदनहीनता बढ़ रही है। विस्तारवाद के नाम मनुष्य, मनुष्य को मार रहा है। हमें सामाजिक बदलाव लाना है तो वो बच्चों के माध्यम से होगा। बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टि पैदा करनी होगी।
कहानी संग्रह की समीक्षा वरिष्ठ साहित्यकार मुकेश नौटियाल ने की। उन्होंने कहा कि संग्रह में बच्चों की कहानियां सराहनीय हैं। इन्हें विद्यालयों के माध्यम से संपूर्ण प्रदेश में पढ़ाया जाना चाहिए। कहा कि बच्चे किस परिप्रेक्ष्य में क्या सोचते हैं यह जानना बहुत जरूरी है। शिक्षा विभाग भाग्यशाली है कि उनके पास ऐसे शिक्षक और बच्चे हैं। ऐसे शिक्षकों को विभाग को सहयोग करना चाहिए ताकि अधिक से अधिक बच्चों साहित्य की धारा से जोड़ा जा सके। संग्रह की लेखक संपादक प्रेमलता सजवाण ने कहा कि बच्चों के लेखन की कला कहानी प्रतियोगिता के माध्यम से उभरकर सामने आई। बच्चों की कहानियों को थोड़ा संपादित कर संग्रह में शामिल किया गया। संचालन साहित्यकार शांति प्रकाश जिज्ञासु ने किया। अंत मे साहित्यकार गणेश खुगशाल गणी ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर आयोजक अरुण सजवाण, अखिल सजवाण, निखिल सजवाण, साहित्यकार मदन डुकलान, बीना बेंजवाल, कवि/गीतकार वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ”, मंजुला नेगी जी, अनिल भारती जी, गिरीश सुंदरियाल, रमाकांत बेंजवाल, कांता घिल्डियाल, बीना कंडारी, कैलाश नेगी, सुरजीत नेगी, ललिता भंडारी, भरत भण्डारी,दिनेश डबराल, विजय जुयाल, विजय रावत, चित्रकार सुमन गौड़, दीपा सेमवाल, सुधा ममगाईं, शिवानी पेटवाल, लक्ष्मण रावत, रजनी नेगी, कुसुम नौटियाल, सुनीता बिष्ट, रक्षा बौड़ाई और कलमकार बच्चे आदि मौजूद रहे।
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