सकलानी बंधु संगठन ने टैगोर विला स्थित जय सदाशिव मंदिर परिसर में आयोजित किया लोकार्पण समारोह
(Uttarakhand Meemansa News)। पर्वतीय क्षेत्रों से लगातार बढ़ रहे पलायन पर अंकुश लगाने के लिए अपनी जड़ों से जुड़ाना बहुत जरूरी है, जब तक जड़ों को नहीं सींचोगे तब तक जीवित नहीं रह सकते हैं। यह बात द नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीआरटी) के निदेशक डा दिनेश सकलानी ने सकलानी बंधु संगठन के वंशावली लोकार्पण समारोह में कही। उन्होंने कहा कि सकलानी वंश अवध से उत्तराखंड वंशावली भावी पीढ़ी के लिए अहम दस्तावेज साबित हो सकती है। समारोह में समाज में उल्लेखनीय योगदान देने क लिए वरिष्ठ सदस्यों को भी सम्मानित किया गया।
टैगोर विला स्थित जय सदाशिव मंदिर परिसर में आयोजित समारोह मे ‘सकलानी वंश (अवध से उत्तराखंड )’ का लोकार्पण कर्लन प्रभात सकलानी, कर्नल वीरेंद्र सकलानी, संगठन के अध्यक्ष मुनीराम सकलानी, उपाध्यक्ष डा मनोहर लाल सकलानी, सचिव परमानंद सकलानी ने किया। समारोह में एनसीआरटी के निदेशक ने कहा कि व् यवसाय और नौकरी के कारण सकलानी समाज के लोग देश-विदेश के किसी भी कोने में रहें। लेकिन, अपने मूल गांव से संपर्क हमेशा बना कर रखे, तभी हम अपनी संस्कृति और समाज को मजबूत कर सकते हैं।
संगठन के अध्यक्ष एमआर सकलानी ने कहा कि संगठन सकलानी बंधुओं और समाज के प्रत्येक नागरिक के हितों के लिए काम किया है। साथ ही अपनी संस्कृति के उन्नयन और गांवों से पलायन रोकने पर जोर दे रही है। उन्होंने कहा कि इस वंशावली में सकलानी जाति का 475 वर्षों का इतिहास समेटा गया है और वंश वृक्ष तैयार किया गया है जो भावी पीढ़ी के लिए एक दस्तावेज होगा। कर्नल प्रभात सकलानी ने कहा कि हमारी भावी पीढ़ी इस वंशावली के माध्यम से अपने पूर्वजों से जुड़ेगी। वीरेंद्र सकलानी ने कहा कि हमें अपने इतिहास व संस्कृति से जुड़े रहना चाहिए।
बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष ओपी सकलानी ने कहा कि सकलानी बंधु संगठन की गतिविधियां समय-समय पर आयोजित की जानी चाहिए। साथ ही संगठन का विस्तार करना चाहिए । संगठन के कोषाध्यक्ष जयदेव सकलानी ने सुझाव दिया कि संगठन को अपने समाज के दो इंजीनियरिंग क्षेत्र से और दो मेडिकल क्षेत्र से दो-दो मेधावी बच्चों की कोचिंग करने की पूरी जिम्मेदारी उठानी चाहिए। तभी संगठन की सार्थकता है। समारोह में कर्नल प्रभात सकलानी, वीरेंद्र सकलानी, अधिवक्ता ओपी सकलानी को सम्मानित किया गया। समारोह का संचालन परमानंद सकलानी ने किया।
समारोह में मुकुल मोहन सकलानी, प्रो अतुल सकलानी, प्रो दिनेश सकलानी, डॉ अतुल सकलानी, पद्मेंद्र सकलानी, मीरा सकलानी, हेमचंद्र सकलानी, गंगा प्रसाद सकलानी, विजेंद्र सकलानी, कुशलानंद सकलानी, जय कृष्णा सकलानी, विनीत सकलानी, निशीथ सकलानी, विपुल सकलानी, गौरव सकलानी, अनुपम सकलानी आदि मौजूद थे।
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