कुआंवाला निवासी नंद किशोर 21 मार्च 2023 को सूडान के खारतून की केमिकल फैक्टरी में काम करने गए थे। ऑपरेशन कावेरी के तहत 3 दिन पहले उन्होंने सूडान से भारत लौटने का सफर शुरू किया था। सूडान से लौटकर देहरादून वापस आए नंद किशोर की आपबीती सुन उनके परिजनों और पड़ोसियों की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने स्वदेश लौटकर भारत और उत्तराखंड सरकार समेत देहरादून की जिलाधिकारी सोनिका का आभार जताया है।
वह खारतून से जादा बंदरगाह पहुंचे। यहां से सऊदी और फिर शुक्रवार रात दिल्ली हवाई अड्डे पहुंचे थे। यहां से बस के माध्यम से वह सकुशल अपने घर कुआंवाला पहुंच गए। उन्होंने बताया कि जिस दिन वह सूडान पहुंचे उसके कुछ दिन बाद ही वहां पर संघर्ष शुरू हो गया। जो जहां था, उसे वहीं पर रखा गया।
उन्होंने बताया कि फैक्टरी में सीमित मात्रा में पीने का पानी और खाने की सामग्री थी। यहां 12 लोग थे तो यह सब कुछ दिनों में ही खत्म हो गया। सूडान से निकलने के 15 दिन पहले तक उनके पास पीने का साफ पानी भी नहीं था। वहां पर गंदा पानी जमा था। उसे ही उबालकर उन्होंने पीकर प्यास बुझाई। कुछ दिन बाद ब्रेड भी खत्म हो गई तो केवल लाल चाय बची थी। इसे उन्होंने दिन में एक बार पीकर ही काम चलाया।
नंद किशोर ने बताया कि सूडान में जो लोग संघर्ष कर रहे थे, आम लोगों पर उनका जुल्म बढ़ रहा था। पास की फैक्टरी में कुछ लोग घुस गए। उनसे पैसा मांगा गया। मना करने पर उनके साथ बहुत मारपीट की गई। उनके सिर के ऊपर से टैंकों के गोले गुजर रहे थे। ऐसे में पल-पल उन्हें मौत का डर सता रहा था। बार-बार सीज फायर की बात तो रही थी। लेकिन, कोई असर नहीं था।
नंद किशोर ने बताया कि भारतीय मुद्रा के हिसाब से वहां पर उन्हें 70 हजार रुपये वेतन पर रखा गया था। एक महीना हो गया था। लेकिन, उन्हें वेतन नहीं मिला। कमरे में कुछ कपड़े और जूते रखे हुए थे। जल्दबाजी में उन्हें भी वहां पर छोड़ दिया गया। एक जोड़ी कपड़ों और चप्पल पहनकर ही नंद किशोर स्वदेश लौटे हैं।
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