शनिवार देर रात पुलिस कस्टडी में स्वास्थ्य जांच के लिए प्रयागराज के कॉल्विन अस्पताल ले जाते समय माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की मेडिकल कॉलेज के पास मीडिया कर्मी बनकर आए 3 बाइक सवार बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी।
माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ का अंत शनिवार देर रात फिल्मी अंदाज में हुआ। चार बार विधायक व सांसद रहे माफिया अतीक पर 44 साल पहले पहला मुकदमा दर्ज हुआ था। तब से उसके ऊपर 100 से अधिक मामले दर्ज हुए। लेकिन, उमेश पाल अपहरण कांड में उसे पहली बार दोषी ठहराया गया।
उमेश पाल हत्याकांड के बाद अतीक अहमद के सबसे बुरे दिनों की शुरुआत हो गई थी। अतीक ने क्राइम के दम पर अपनी पहचान बनाई। उसी पहचान के बल पर राजनीति में एंट्री ली। 28 साल की उम्र में विधायक बना तो ताकत दोगुनी हो गई। जो भी सामने आया वो मारा गया। हर हाई प्रोफाइल हत्याकांड में नाम अतीक का आया। एक के बाद एक 100 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए। लेकिन, किसी केस में सजा नहीं हुई। 44 साल बाद 28 मार्च 2023 को अतीक को उमेश पाल अपहरण कांड में पहली बार सजा सुनाई गई। अतीक के साथ मारा गया अशरफ भी अपने भाई के हमेशा साथ रहा। हर बड़े मुकदमे में अतीक के साथ अशरफ नामजद था।
18 दिन पहले सुनाई गई थी उम्रकैद की सजा
अतीक अहमद को इसी साल (29 मार्च 2023) 18 दिन पहले उमेश पाल अपहरण कांड में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। अतीक के साथ दिनेश पासी और सौलत हनीफ को भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई। अतीक के भाई अशरफ समेत 7 जीवित आरोपी मंगलवार को दोष मुक्त करार दिए गए थे।
अतीक पर पहला मुकदमा 1979 में दर्ज हुआ
माफिया अतीक को सजा सुनाए जाने से 44 साल पहले पहले उस पर पहला मुकदमा दर्ज हुआ था। तब से उसके ऊपर 100 से अधिक मामले दर्ज हुए थे। लेकिन, पहली बार किसी मुकदमे में उसे दोषी ठहराया गया था। उस पर पहला मुकदमा 1979 में दर्ज हुआ था। इसके बाद जुर्म की दुनिया में अतीक ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। हत्या, लूट, रंगदारी अपहरण के न जाने कितने मुकदमे उसके खिलाफ दर्ज होते रहे। मुकदमों के साथ ही उसका राजनीतिक रुतबा बढ़ता गया। अतीक के खिलाफ कुल 101 मुकदमे दर्ज हुए। वर्तमान में अदालत में 50 मामले चल रहे थे।
झांसी में अतीक ने जताई थी हत्या की आशंका
गुजरात की साबरमती जेल से प्रयागराज ले जाते समय अतीक अहमद का काफिला झांसी में रुका था। उसने यहां अपनी हत्या की आशंका जताई थी, जो शनिवार की रात सच साबित हुई। प्रयागराज में अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की ताबड़तोड़ गोलियां मारकर हत्या कर दी गई। इसके दो दिन पहले झांसी में अतीक का बेटा असद और शूटर गुलाम एसटीएफ के साथ हुई मुठभेड़ में मारा गया था। पिछले बुधवार को भी अतीक झांसी होकर गुजरा था। तब अतीक ने कहा था कि सरकार ने उसके परिवार को मिट्टी में मिला दिया है, अब तो रगड़ा जा रहा है।
अशरफ ने कहा था, दो सप्ताह बाद निपटा दिया जाऊंगा
अशरफ ने पिछली पेशी पर बरेली लौटते ही जेल गेट पर पत्रकारों से दो सप्ताह बाद अपनी मौत का अंदेशा जता दिया था। दो दिन बाद आई उसकी बहन आयशा ने भी इस बात को आगे बढ़ाया था। अब अशरफ की इतने ही वक्त में हत्या के बाद कई तरह की बातें लोगों की जुबां पर हैं। 28 मार्च को प्रयागराज में पेशी के बाद अशरफ को बरेली लाया गया था। वहां जेल गेट पर उसने पत्रकारों से कहा था कि एक बड़े अधिकारी ने उसे धमकी दी है कि दो सप्ताह बाद जेल से निकालकर निपटा दिए जाओगे। पत्रकारों ने जब अधिकारी का नाम पूछा तो अशरफ का जवाब था कि वह फिलहाल अफसर का नाम नहीं बताएगा, उसके साथ कोई घटना होगी तो अफसर का नाम लिखा बंद लिफाफा सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश व सीएम के पास पहुंच जाएगा।
उमेश पाल अपहरण मामले में हुई थी उम्रकैद
इलाहाबाद पश्चिमी विधानसभा सीट से नवनिर्वाचित विधायक राजू पाल की 25 जनवरी 2005 को हत्या हुई थी। मुकदमा 2007 में दर्ज हुआ। 10 दिन पहले ही राजू की शादी हुई थी। राजू पाल के दोस्त उमेश पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह थे। हत्याकांड के बाद अतीक ने उमेश को मामले से हटने की धमकी दी थी। उमेश नहीं माने तो 28 फरवरी 2006 को उसका अपहरण कर लिया गया। उसे करबला स्थित कार्यालय में अतीक ने रात भर पीटा था। अतीक ने उनसे अपने पक्ष में हलफनामा लिखवा लिया। अगले दिन उमेश ने अतीक के पक्ष में अदालत में गवाही भी दे दी। उमेश समय बदलने का इंतजार कर रहे थे।
राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने अशरफ को हराया
2007 में बसपा सरकार बनी। चुनाव में शहर पश्चिमी सीट से अतीक के भाई अशरफ को एक बार फिर राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने हरा दिया। इसके बाद अतीक पर शिकंजा कसना शुरू हुआ। हालात बदले तो उमेश ने अपने अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया। उमेश सालों मामले की पैरवी करते रहे। उमेश ने अपने अपहरण के मामले को लगभग अंजाम तक पहुंचा दिया। लेकिन, फैसले से एक महीने पहले उनकी हत्या कर दी गई। उमेश पाल अपहरण मामले में ही अतीक को सजा हुई थी।
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