शहीद टीकम सिंह नेगी अपने खानदान के इकलौते चिराग थे। उनकी एक छोटी बहन माधुरी है, जिसका विवाह हो चुका है। टीकम के दादा और पिता भी परिवार के इकलौते चिराग थे। वहीं, शहीद टीकम का भी एक ही बेटा है। टीकम के शहीद होने से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट गया है।

देहरादून जनपद के राजावाला गांव निवासी टीकम सिंह नेगी भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल (आईटीबीपी) में असिस्टेंट कमांडेंट थे। वर्तमान में वह भारत-चीन सीमा पर लद्दाख में गोपनीय मिशन पर थे। पेट्रोलिंग के दौरान बोल्डर गिरने से उनके सिर पर गंभीर चोटें आई थी, जिसमें वे शहीद हो गए थे। बीते सोमवार की सुबह करीब 10 बजे परिजनों को उनके शहीद होने की खबर मिली, जिससे पूरे क्षेत्र में मातम छा गया।
मंगलवार सुबह से ही आईटीबीपी और प्रशासन के अधिकारियों का उनके घर पर पहुंचना शुरू हो गया था। शाम करीब साढ़े तीन बजे जैसे ही आईटीबीपी के जवान शहीद के पार्थिव शरीर को लेकर उनके घर पर पहुंचे, परिजनों में चीख पुकार मच गई। शहीद को श्रद्धांजलि देने बड़ी संख्या में पहुंचे लोगों की आंखें छलक गई। मंगलवार को प्रेमनगर स्थित श्मशान घाट में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। चचेरे भाई शुभम रावत ने शहीद की चिता को मुखाग्नि दी। नम आंखों से परिजनों और क्षेत्रवासियों ने शहीद को अंतिम विदाई दी। उनकी शवयात्रा में जब तक सूरज चांद रहेगा टीकम तेरा नाम रहेगा, भारत माता की जय के नारे गूंजते रहे।


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