December 24, 2024

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हाईकोर्ट के आदेश के बाद राजीव भरतरी ने फिर संभाला PCCF पद

सरकार ने 25 नवंबर 2021 को उनका स्थानांतरण प्रमुख वन संरक्षक पद से जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष पद पर कर दिया था। उनका स्थानांतरण राजनीतिक कारणों से किया गया है, जिसमें उनके सांविधानिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ।

उत्तराखंड वन विभाग की कमान फिर वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी राजीव भरतरी के हाथ में आ गई है। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद उत्तराखंड सरकार ने दोपहर करीब डेढ़ बजे उनके चार्ज संभालने के आदेश जारी किए। इसके बाद भरतरी को प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) पद का दोबारा चार्ज दिया गया।

नैनीताल हाईकोर्ट ने सरकार को मंगलवार सुबह 10 बजे तक राजीव भरतरी को प्रमुख वन संरक्षक का पदभार सौंपने के निर्देश दिए थे। इससे सरकार की उलझन बढ़ गई  थी। आज महावीर जयंती पर सरकारी छुट्टी थी। लेकिन, वन विभाग के कुछ अधिकारी और कर्मचारी सुबह ही मुख्यालय पहुंच गए थे। राजीव भरतरी का कहना है कि हाईकोर्ट के निर्देश के बाद उन्हें दोबारा चार्ज दिया गया है।

 कैट की बेंच ने फैसला भरतरी के पक्ष में दिया था फैसला

21 फरवरी को केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट)  इलाहाबाद की नैनीताल स्थित सर्किट बेंच ने राजीव भरतरी को प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) के पद से हटाने और उनके स्थान पर विनोद कुमार सिंघल को नियुक्त किए जाने के मामले में सुनवाई के बाद अपना फैसला भरतरी के पक्ष में दिया था। कैट ने भरतरी का तबादला करने के आदेश पर रोक लगाते हुए सरकार को उन्हें तत्काल प्रभाव से उसी पद पर बहाल करने के आदेश दिए। इसके बाद 21 मार्च को सरकार की ओर से भी कैट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई, जिसे कैट ने निरस्त कर दिया। इसके बाद पीसीसीएफ सिंघल की ओर से कैट में व्यक्तिगत रूप से पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई, लेकिन उन्हें भी कोई राहत नहीं मिल पाई। कैट के तीन आदेश के बाद सरकार की ओर से इस मामले में शीघ्र निर्णय लिए जाने के कयास लगाए जा रहे थे। लेकिन, सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई।
यह था मामला
आईएफएस अधिकारी राजीव भरतरी ने याचिका दायर कर कहा था कि वह भारतीय वन सेवा के राज्य के सबसे वरिष्ठ अधिकारी हैं। लेकिन, सरकार ने 25 नवंबर 2021 को उनका स्थानांतरण प्रमुख वन संरक्षक पद से जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष पद पर कर दिया था, जिसे उन्होंने संविधान के खिलाफ माना। इस संबंध में उन्होंने सरकार को चार प्रत्यावेदन दिए। लेकिन, सरकार ने इन प्रत्यावेदनों पर सुनवाई नहीं की। राजीव भरतरी ने कहा कि उनका स्थानांतरण राजनीतिक कारणों से किया गया है, जिसमें उनके सांविधानिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है।
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