मामले में समाज कल्याण विभाग के गई अधिकारी गिरफ्तार हुए थे। बताया जा रहा है कि एसआईटी के रडार पर अब भी कई अधिकारी हैं। इनके खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन से अनुमति मिलने का इंतजार है।
देहरादून और हरिद्वार के शिक्षण संस्थानों में पढ़ रहे छात्र छात्राओं के लिए 200 करोड़ रुपए छात्रवृति के लिए भेजे गए थे। उसमें से 100 करोड़ रुपए विभागीय और शिक्षण संस्थाओं के अधिकारी डकार गए। इस तरह छात्रवृति का 50 प्रतिशत रुपया गबन कर लिया गया।
छात्रवृति का यह घोटाला शुरुआत में 400 करोड़ रुपये का बताया जा रहा था। कुमाऊं और गढ़वाल में इसके लिए जांच टीम लगाई थी। जबकि, हरिद्वार और देहरादून के कॉलेजों की जांच के लिए एसआईटी हरिद्वार में बनाई गई थी।
एसआईटी में जांच में पाया कि देहरादून और हरिद्वार दोनों जिलों से सहारनपुर व मेरठ आदि शहरों के लगभग 150 शिक्षण संस्थानों को उत्तराखंड के छात्रों के लिए 200 करोड़ रुपये छात्रवृत्ति जारी की गई थी। एसआईटी ने जब इसका सत्यापन किया तो कई चौंकाने वाली बातें सामने आई थी। अधिकारियों और शिक्षण संस्थानों ने कई तरीके अपनाते हुए इसमें से 100 करोड़ रुपये का गबन किया। मामले में समाज कल्याण विभाग के बड़े अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया था। इनमें से कई को जमानत मिल चुकी है। वर्तमान में कई अधिकारी बहाल होकर शासन में उच्च पदों पर तैनात हैं।
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