उत्तराखंड की तीन बोलियों को भाषागत स्वरूप प्राप्त करने के उद्देश्य से सेवानिवृत्त शिक्षक हर्षपति रयाल ने ऐतिहासिक कालजयी प्रयास करते हुए केदारखंडी भाषा (उत्तरांचली लिपि) का प्रयास समाज के सम्मुख प्रस्तुत किया। पुस्तिका का विमोचन शनिवार को ऑफिसर ट्रांजिट हॉस्टल रेसकोर्स में अतिथि सुप्रसिद्ध लोक गायक मीना राणा, लेखक डॉ राकेश रयाल, साहित्यकार बेलीराम कंसवाल, शिक्षाविद/साहित्यकार जगदीश ग्रामीण, वरिष्ठ फिजिशियन डॉ एसडी जोशी जी ने किया।
पुस्तक के लेखक हर्षपति रयाल ने कहा कि उत्तरांचली लिपि को अपने व्यवहार में लाना होगा। जब यह लिपि व्यवहार में आएगी, तभी स्वीकार भी की जाएगी। आज हमें शासन स्तर पर भी इस लिपि की स्वीकार्यता के लिए प्रयास करना होगा। डॉ एसडी जोशी ने कहा कि समाज को उत्तराखंड में बोली जाने वाली बोलियों के प्रति अपना लगाव दिखाने की समाज को नितांत आवश्यकता है अन्यथा एक समय ऐसा आएगा कि हमारे बच्चे अपनी बोलियों को भूल जाएंगे। रयाल का यह प्रयास अत्यंत सराहनीय है।
लेखक जगदीश ग्रामीण ने कहा कि सभी को गर्व होना चाहिए कि हम उत्तराखंड की ऐसी पावन भूमि में निवास करते हैं, जहां विभिन्न प्रकार की बोलियों के कारण एक सांस्कृतिक भाव उत्पन्न होता है। इस सांस्कृतिक भाव को राष्ट्रीय महत्व देने का कार्य रयाल की लिपि के द्वारा किया जाना संभव हो पाएगा। बेलीराम कंसवाल ने कहा कि हम सब विभिन्न भाषाओं/ बोलियों में अनेक रचनाओं का निर्माण करते हैं। यदि हमारी स्वयं की लिपि होती तो हम इस भाषा से और अच्छी रचनाओं को प्रस्तुत कर सकते थे।उन्होंने अपनी कुछ रचनाएं प्रस्तुत की। डॉ राकेश रयाल ने कहा कि आज हर्ष का विषय है कि हम उत्तरांचली लिपि का विमोचन कर रहे हैं। हमें आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि समाज इस लिपि को स्वीकार कर इसे भाषागत स्वरूप प्रदान करने के उद्देश्य से कार्य करेगा। हम सभी शासन स्तर से वार्ता कर इसको शीघ्र ही भाषा का स्वरूप प्रदान करने के लिए यथासंभव प्रयास करेंगे। सुप्रसिद्ध लोक गायिका मीना राणा ने कहा कि हमें गर्व है कि हम अपनी गढ़वाली भाषा के साथ अपनी रचनाओं को, गीतों को, कहानियों को प्रस्तुत कर पाएंगे। हम सब का समन्वित प्रयास होना चाहिए कि हम अपनी बोली को भाषा का स्वरूप प्रदान कर सकें।
कार्यक्रम में अमित भट्ट, रमेश चौहान, जेपी कंसवाल, कुंदन सिंह पंवार, किशोरी लाल थपलियाल, दिनेश प्रसाद रणाकोटी, जगदीश रतूड़ी, संतोष भट्ट, अमरीश शर्मा, ज्योति बलूनी, मुकेश रयाल, सहदेव रयाल, सुनील गुप्ता, राजनीश ध्यानी, संजय रयाल, पुनुरूथान रूरल डेवलपमेंट एंड वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष ज्योति प्रसाद, रजनीश उनियाल, विकास राणा, विपिन कुलियाल, मनोज रयाल, सुधीर रयाल, दीपक बलूनी, अनूप रयाल, शिक्षाविद, साहित्यकार, पत्रकार और भाषा प्रेमी उपस्थित रहे।
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