December 25, 2024

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लोकभाषाओं में संवाद: मंच पर जीवन्त हुआ उत्तराखंड का लोकजीवन और संस्कृति

दो दिवसीय उत्तराखण्ड मातृभाषा उत्सव बुधवार को शुरू हो गया। प्रदेशभर के बच्चों ने विभिन्न भाषाओं में मनमोहक प्रस्तुति दी।

उत्तराखंड में बोली जाने वाली लोक भाषाओं के संवर्धन के लिये एससीआरटी उत्तराखण्ड के निर्देशन में दो दिवसीय उत्तराखण्ड मातृभाषा उत्सव बुधवार को शुरू हो गया। प्रदेशभर से आये छात्र-छात्राओं ने उत्सव के पहले दिन विभिन्न लोक भाषाओं में नाटक, गायन, लोकनृत्य आदि के माध्यम से मंच पर उत्तराखंड के लोकजीवन और संस्कृति को साकार कर दिया। बच्चों ने लगभग 18 भाषाओं में प्रस्तुति दी।

राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उत्तराखण्ड की ओर से किसान भवन रिंग रोड़ में उत्तराखण्ड मातृभाषा उत्सव आयोजित किया गया। शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने वर्चुअल माध्यम से कार्यक्रम का उद्घाटन किया। जबकि, शिक्षा सचिव व विशिष्ट अतिथि पद्मश्री माधुरी बड़थ्वाल ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। वीडियो के माध्यम से बच्चों को संबोधित करते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि उत्सव लोकभाषाओं को जीवित और संरक्षित करने में कारगर सिद्ध होगा।

कार्यक्रम में गढ़वाली, कुमाउंनी, जौनसारी, वाल्टी, बगाणी, पंजाबी, नेपाली, कौरवी, मार्छा और जाड़ आदि लगभग 18 लोकभाषाओं में बच्चों ने नाटक, संवाद, लोकगीत और लोक कथाओं की मनमोहक प्रस्तुति दी। प्राथमिक विद्यालय जयहरिखाल पौड़ी की छात्रा चित्रा पाठक ने कुमाउंनी लोकभाषा में गीत और हरिद्वार के छात्रों ने कौरवी भाषा में नाटक को खूब सराहना मिली।

निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण (एससीईआरटी) सीमा जौनसारी ने कहा कि इस प्रकार के आयोजनों से भारतीय सांस्कृतिक संपदा का संरक्षण, संवर्धन के साथ ही भाषाओं का बड़े स्तर पर प्रसार भी होता है। प्रदेश की विलुप्त होती भाषाओं पर जमीनी स्तर पर कार्य किये जाने की आवश्यकता है। इसमें एससीईआरटी अपना दायित्व निभा रहा है। यह उत्सव विद्यालयों में बहुभाषिकता को प्रोत्साहित करने में सेतु का काम करेगा। शिक्ष सचिव रविनाथ रामन ने कहा कि कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की मंशा के अनुरूप कक्षा 3 से 8 तक के छात्रों में मातृभाषाओं के प्रति सम्मान की भावना पैदा करना है।

अपर निदेशक एससीईआरटी डॉ आरडी शर्मा ने बताया कि कार्यक्रम के लिये प्रदेशभर के स्कूलों से छात्रों का चयन किया गया है। विभागाध्यक्ष पाठ्यचर्या शोध एवं विकास प्रदीप रावत ने कहा कि विभाग ऐसे आयोजन आगे भी करता रहेगा।कार्यक्रम में डॉ नन्द किशोर हटवाल ने छात्रों को भाषा पर कई जानकारी दी। कार्यक्रम समन्वयक कैलाश डंगवाल ने बताया कि राज्य के सभी विद्यालयों में एक दिवसीय मातृभाषा उत्सव का आयोजन किया गया। जिसके बाद खण्ड और जनपदीय स्तर पर चयनित प्रतिभागियों का राज्यस्तरीय कार्यक्रम के लिए चयन किया गया।

कार्यक्रम में साहित्यकार बीना बेन्जवाल, निदेशक माध्यमिक शिक्षा आरके कुंवर, निदेशक प्राथमिक शिक्षा वन्दना गबर्याल, उप निदेशक एनईपी शैलेन्द्र अमोली, आशारानी पैन्यूली, कंचन देवरानी, मनोज किशोर बहुगुणा, रविन्द्र दर्शन तोपाल, डॉ कामाक्षा मिश्रा, डॉ मोहन सिंह बिष्ट, सचिन नौटियाल, सन्दीप ढौडियाल आदि मौजूद रहे।

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