जीके पिपिल
देहरादून, उत्तराखण्ड

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गज़ल
ज़िंदगी में और कुछ तो नहीं बस यही आसान मिला
राह दर राह क़दम दर क़दम जो मुझे अपमान मिला
रास्ते बदलकर कभी जाने ना दिया मुझे दूसरी तरफ
हमेशा रास्ते में वक्त मेरा मुझे बडा ही बलवान मिला
मुश्किल से आशियाना बनाया था उम्र की ढलान पर
मगर वो भी मुझे खुशी से महरूम और वीरान मिला
दुनियां में क्या कुछ नहीं मिलता लोगों को दुनियां से
मुझे तो सिर्फ़ तिरस्कार व उपेक्षा यही सामान मिला
दीप मोहब्बत का जल ना सका हो ना सका उजाला
घर के अंदर और दिल में भी मुझे सदा तूफ़ान मिला
सुख को कई बार आमंत्रण दिया फिर भी नहीं आया
मगर दुख तो हमेशा मुझे बिन बुलाया मेहमान मिला
आये थे जग में पाने खुदा को होनी थी मन की मुक्ति
पहुंचे नहीं जो ठीक पते पर नहीं मुझे भगवान मिला।


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