December 24, 2024

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उत्तराखंड: पटवारी क्षेत्रों में पुलिस चौकी और थाने खुलेंगे, मुख्य सचिव ने मांगे प्रस्ताव

-मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों के साथ वीडियो कान्फ्रेंसिंग कर मामले में चर्चा की

अंकिता भंडारी हत्याकांड के बाद अब उत्तराखंड शासन पटवारी क्षेत्रों को रेगुलर पुलिस को सौंपने की तैयारी में जुट गया है। जिन पटवारी क्षेत्रों में तत्काल पुलिस की जरूरत है, शासन ने उन क्षेत्रों के प्रस्ताव मांगें है। ऐसे में उम्मीद है कि कुछ पटवारी क्षेत्रों में जल्द ही पुलिस चौकी और थाने खुलेंगे।

मुख्य सचिव डॉ एसएस संधु की अध्यक्षता में गुरुवार को सचिवालय में प्रदेश के राजस्व क्षेत्रों को रैगुलर पुलिस को दिए जाने के सम्बन्ध में जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों के साथ वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा हूई।

मुख्य सचिव ने कहा कि रैगुलर पुलिस में शामिल करने के लिए जिन क्षेत्रों को तत्काल शामिल करने की जरूरत है और जिन क्षेत्रों में रैगुलर पुलिस के थाना, रिपोर्टिंग चौकी या एरिया एक्सपेंशन की जरूरत है। उनके प्रस्ताव जल्द भेजे जाएं।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड टूरिज्म स्टेट होने के कारण हॉस्पिटैलिटी के क्षेत्र में महिलाओं के काम की अत्यधिक संभावना को देखते हुए हमें प्रोएक्टिव होकर कार्य करना होगा। जिन क्षेत्रों में पिछले कुछ समय में पर्यटन व व्यावसायिक गतिविधियां बढ़ी हैं, उन्हें प्राथमिकता से रैगुलर पुलिस में शामिल किया जाए। उन्होंने डीजीपी अशोक कुमार को भी जघन्य अपराधों की कैटेगरी निर्धारित करने के निर्देश दिए। राजस्व क्षेत्रों में जघन्य अपराध के मामलों को तत्काल रैगुलर पुलिस को सौंपकर एफआईआर दर्ज की जाए।

अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि प्रदेश के किसी भी कौने में काम करने वाली महिलाओं के लिए रजिस्ट्रेशन या अन्य कोई ऐसा सिस्टम विकसित किया जाना चाहिए, जिसमें वह अपनी जानकारी दर्ज कर सकें। जैसे वह यहां काम कर रही है ताकि कोई अप्रिय घटना होने पर तत्काल जानकारी उपलब्ध हो सके।

इस अवसर पर डीजीपी कानून व्यवस्था वी. मुरुगेशन व सचिव चंद्रेश यादव सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

काम करने वाली महिलाओं की जानकारी दर्ज करने के लिए मोबाइल ऐप शुरू करने के निर्देश

अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी के प्रस्ताव जे बाद मुख्य सचिव ने कहा कि पुलिस को इसमें प्रोएक्टिव होकर काम करना होगा। उन्होंने डीजीपी को मोबाइल ऐप शुरू करने के निर्देश दिए, जिसमें काम करने वाली महिला अपनी जानकारी दर्ज कर सके। साथ ही कॉल सेंटर जैसा सिस्टम भी तैयार किया जाए जो काम करने वाली महिलाओं से कुछ-कुछ समय के बाद उनका हालचाल भी पूछे। इसके प्रचार प्रसार पर भी विशेष ध्यान दिया जाए। महिलाओं और उनके परिजनों को भी इसके लिए जागरूक किया जाए।

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