विजय पर्व {विजयादशमी}
नेत्र ज्योति बढ़ाने के लिए दशहरे से शरद पूनम तक चन्द्रमा की चाँदनी में विशेष हितकारी रस, हितकारी किरणें होती हैं। इन दिनों चन्द्रमा की चाँदनी का लाभ उठाना चाहिए, ताकि वर्षभर आप स्वस्थ और प्रसन्न रहें। नेत्र ज्योति बढ़ाने के लिए दशहरे से शरद पूर्णिमा तक प्रतिदिन रात में 15 से 20 मिनट तक चन्द्रमा के ऊपर त्राटक (पलकें झपकाये बिना एकटक देखना) करें।
5 अक्टूबर 2022 बुधवार को दशहरा/विजयादशमी है। दशहरे के पूरे दिन शुभ मुहूर्त है। संकल्प, शुभारम्भ, नूतन कार्य, सीमोल्लंघन के लिए विजय मुहूर्त दोपहर 2.26 से 3.13 बजे तक है। गुरु-पूजन, अस्त्र-शस्त्र-शमी वृक्ष-आयुध-वाहन पूजन।
दशहरा के दिन शाम को जब सूर्यास्त होने का समय और आकाश में तारे उदय होने का समय हो, वो सर्व सिद्धि दायी विजयकाल (मुहूर्त) कहलाता है। उस समय घूमने-फिरने नहीं जाना चाहिए। दशहरे के दिन शाम को घर पर ही स्नान आदि कर दिन के कपड़े बदलकर शाम को धुले कपड़े पहनकर ज्योत जलाकर बैठ जाएं। थोडा ‘राम रामाय नम:’ मंत्र जपते रागन।
विजयादशमी है तो रामजी का नाम और फिर मन-ही-मन गुरुदेव को प्रणाम करके गुरुदेव सर्व सिद्धि दायी विजयकाल में विजय के लिए ये मंत्र जपते हैं-
‘ॐ अपराजितायै नमः’ ये मंत्र 1-2 माला जप करना चाहिए। इस काल में श्री हनुमानजी का सुमिरन करते हुए इस मंत्र की एक माला जप करें- ‘पवन तनय बल पवन समाना, बुद्धि विवेक विज्ञान निधाना, कवन सो काज कठिन जग माहि, जो नहीं होत तात तुम पाहि॥’
पवन तनय समाना की भी एक माला कर लें, उस विजय काल में फिर गुरुमंत्र की माला कर लें फिर देखो अगले साल के दशहरा तक गृहस्थ में जीने वालों को बहुत-बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिल सकते है।

पंडित राजेन्द्र प्रसाद (पंकज शास्त्री)
जय श्रीराम, जय माता दी


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