भगवद चिन्तन … श्रावण मास शिव तत्व
श्रावण मास में शिव जी को दूध, जल, वेलपत्र अर्पित करते-करते विचार करें कि शिव जी हर समय प्रसन्न कैसे रहते हैं? इनके आनन्दमय जीवन का सूत्र क्या है? ये बड़े भोले हैं और जो भोला है वही दुनिया का नाथ बनने की पात्रता रखता है।
शिव जी ने भीतर से अपने आपको इतना मजबूत, उच्च विचारयुक्त, धीर, गंभीर, सहनशील, धैर्यवान, मान-अपमान मुक्त बना रखा है कि संसार की स्थितियाँ उन्हें विचलित नहीं कर पाती हैं। शिव जी अपने ह्रदय में केवल राम नाम को रखते हैं। बाकी सब बाहर ही छोड़ देते हैं।
तुम्हें बुरा बोलने वाले तो कमजोर हैं ही। लेकिन, छोटी-छोटी बातों से विचलित हो जाना, यह आपकी कमजोरी को दर्शाता है। शिवजी अन्तर्मुखी हैं, भीतर स्वयं में स्थित रहते हैं। मजबूत बनो ताकि हर स्थिति का मुस्कुराकर सामना कर सको।
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