डॉ चेतन आनंद
गाज़ियाबाद
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गीत
जैसे बिन उन्वान कहानी आधी होती है।
वैसे अनुभवहीन जवानी आधी होती है।।
बिना चंद्रमा रात अधूरी,
तारों की बारात अधूरी,
सूरज के बिन दिवस अधूरा,
सूरज हो तो तमस अधूरा,
राह नहीं तो सफ़र अधूरा,
बिन मानव के नगर अधूरा,
साँस नहीं तो जीवन क्या है,
बिना चेहरे दरपन क्या है,
जैसे जल के बिना रवानी आधी होती है।
वैसे अनुभवहीन जवानी आधी होती है।।
बिन प्रियतम के प्रीत अधूरी,
संकल्पों बिन रीत अधूरी,
शब्दों के बिन भाव अधूरे,
बिन साजन के चाव अधूरे,
नींद नहीं तो सपन अधूरे,
वाक्य नहीं तो कथन अधूरे,
आँसू बिन आँखें आधी हैं,
खुशियों की पाँखें आधी हैं,
बिना धूप के शाम सुहानी आधी होती है।
वैसे अनुभवहीन जवानी आधी होती है।।
बिना विरह के प्यार अधूरा,
प्यार बिना संसार अधूरा,
बिन दुख के सुख पूरा कैसे,
सुख के बिन दुख पूरा कैसे,
प्रीत नहीं तो याद अधूरी,
इसकी हर बुनियाद अधूरी,
कसक नहीं तो प्रीत अधूरी,
हार नहीं तो जीत अधूरी,
लिखे बिना ज्यूँ बात ज़बानी आधी होती है।
वैसे अनुभवहीन जवानी आधी होती है।।
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