December 16, 2025

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उल्टे अक्षरों में गीता, सुई से मधुशाला और कील से लिख दी पीयूष वाणी

दुनिया में ऐसे भी हुनरमंद है, जिनकी प्रतिभा देखकर लोग उसे चमत्कार समझने लगते हैं, ऐसा ही एक प्रतिभाशाली व्यक्तित्व है पीयूष गोयल। दादरी गौतमबुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश निवासी पीयूष ने पांच तरह की पुस्तकें लिखकर सब को चौंका दिया है। आइए जानते हैं पीयूष गोयल और उनकी पुस्तकों के बारे में वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ” के साथ।

कला व दक्षता की कोई सीमा नहीं होती, रोज नई उपलब्‍धियां प्रकाश में आती रहती हैं, ऐसा ही दिलचस्‍प काम किया है पीयूष गोयल ने। पीयूष पेशे से इंजीनियर और मन से कलाधर्मी। कला भी ऐसी जो सबसे अलग, अनूठी और निराली है। उन्होंने पंच प्रचलित पुस्‍तकें पंच तरीके से लिख डाली हैं। उल्टे अक्षरों में गीता, सुई से मधुशाला, मेंहंदी से गीतांजलि, कार्बन पेपर से पंचतंत्र के साथ ही कील से पीयूष वाणी भी लिखी है। पीयूष की इन किताबों को देखकर हर कोई हतप्रभ है।

57 वर्षीय पीयूष गोयल अपनी धुन में रमकर कुछ अलग करने में जुटे तो शब्दों को उल्टा लिखने लगे। इस धुन में ऐसे रमे कि कई अलग-अलग सामग्री से कई पुस्तकें लिख दीं। डिप्लोमा इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले पीयूष गोयल का 2000 में एक्सीडेंट हो गया था। उन्हें इस हादसे से उबरने में करीब नौ महीने लग गए। इस दौरान उन्होंने श्रीमद्भभगवद गीता को जीवन में उतार लिया। जब वे ठीक हुए तो कुछ अलग करने की जिजीविषा पाले वे शब्दों को उल्टा (मिरर शैली) लिखने का प्रयास करने लगे। अभ्यास ऐसा बना कि उन्होंने कई किताबें लिख दीं। गोयल की लिखीं पुस्तकें पढ़ने के लिए आपको दर्पण का सहारा लेना पड़ेगा। उल्टे लिखे अक्षर दर्पण में सीधे दिखाई देंगे और आप आसानी से पढ़ लेंगे।

पीयूष गोयल बताते हैं कि कुछ लोगों ने कहा कि आपकी लिखी किताबें पढ़ने के लिए शीशे की जरूरत होती है। कुछ ऐसा करें कि दर्पण की जरूरत न पड़े। इस पर पीयूष गोयल ने सुई से मधुशाला लिख दी। हरिवंश राय बच्चन की पुस्तक ‘मधुशाला’ को सुई से मिरर इमेज में लिखने में करीब ढाई महीने का समय लगा। गोयल की मानें तो यह सुई से लिखी ‘मधुशाला’ दुनिया की अब तक की पहली ऐसी पुस्तक है जो मिरर इमेज व सुई से लिखी गई है।

उल्‍टे अक्षरों से लिख गई भागवत गीता ( Bhagwat Gita )

आप इस भाषा को देखेंगे तो एकबारगी भौंचक्के रह जायेंगे। आपको समझ नहीं आयेगा कि यह किताब किस भाषा में लिखी हुई है। लेकिन, आप जैसे ही दर्पण (शीशे‌) के सामने पहुंचेंगे तो यह किताब खुद-ब-खुद बोलने लगेगी। सारे अक्षर सीधे नजर आयेंगे। मिलनसार पीयूष गोयल मिरर इमेज की भाषा शैली में कई किताबें लिख चुके हैं।

सुई से लिखी मधुशाला( Madhu shala)

पीयूष गोयल ने ऐसा कारनामा कर दिखाया है कि देखने वालों की आँखें खुली रह जाएंगी और न देखने वालों के लिए स्पर्श मात्र ही बहुत है। सुई से पुस्तक लिखने का विचार क्यों आया इस पर पीयूष ने बताया कि अक्सर मुझसे ये पूछा जाता था कि आपकी पुस्तकों को पढ़ने के लिए शीशे की जरूरत पड़ती है। आखिर बहुत सोचने समझने के बाद विचार आया कि क्यों न सुई से कुछ लिखा जाये, इसलिए मैंने सूई से हरिवंशराय बच्चन की प्रसिद्ध कृति ‘मधुशाला’ को करीब दो से ढाई महीने में पूरा किया। यह पुस्तक भी मिरर इमेज में लिखी गयी है। लेकिन, इसको पढ़ने लिए शीशे की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि रिवर्स में पेज पर शब्दों के इतने प्यारे मोतियों जैसे पृष्ठों को गुंथा गया है, जिसको पढ़ने में आसानी रहती है। यह सुई से लिखी ‘मधुशाला’ दुनिया की अब तक की पहली ऐसी पुस्तक है जो मिरर इमेज व सूई से लिखी गई है।

मेंहदी कोन से लिखी गई गीतांजलि ( Gitanjali )

पीयूष गोयल ने एक और नया कार्य कर के दिखाया है। उन्होंने 1913 के साहित्य के नोबेल पुरस्कार विजेता रविन्द्रनाथ टैगोर की विश्व प्रसिद्ध कृति ‘गीतांजलि’ को ‘मेंहदी के कोन’ से लिखा है। उन्होंने 8 जुलाई 2012 को मेंहदी से गीतांजलि लिखनी शुरू की। सभी 103 अध्याय 5 अगस्त 2012 को पूरे कर दिए। इसको लिखने में 17 कोन और दो नोट बुक प्रयोग में आई हैं। पीयूष श्री दुर्गा सप्तशती, अवधी में सुन्दरकांड, आरती संग्रह, हिंदी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में श्री साईं सत्चरित्र व ‘रामचरितमानस’ ( दोहे, सोरठा और चौपाई ) भी लिख चुके हैं।

कील से लिखी पीयूष वाणी 

पीयूष गोयल ने अपनी ही लिखी पुस्तक ‘पीयूष वाणी’ को कील से ए-फोर साइज की एल्युमिनियम शीट पर लिखा है। कील से क्यों लिखा, इस पर उन्होंने बताया कि वे इससे पहले वो सुई से ‘मधुशाला’ को लिख चुके हैं। इसलिए उन्हें विचार आया कि क्यों न कील से भी प्रयास किया जाय और उन्होंने ए-फोर साइज के एल्युमिनियम शीट पर भी लिख डाला।

कार्बन पेपर की मदद से लिखी ‘पंचतंत्र’ ( Carbon paper written ‘Panchatantra’ )

गहन अध्ययन के बाद पीयूष ने कार्बन पेपर की सहायता से आचार्य विष्णुशर्मा द्वारा लिखी ‘पंचतंत्र’ के सभी ( पाँच तंत्र, 41 कथा ) को लिखा है। पीयूष ने कार्बन पेपर को (जिस पर लिखना है) के नीचे उल्टा करके लिखा, जिससे पेपर के दूसरी ओर शब्द सीधे दिखाई देंगे यानी पेज के एक तरफ शब्द मिरर इमेज में और दूसरी तरफ सीधे।

पीयूष का जीवन परिचय

पीयूष गोयल का जन्म 10 फ़रवरी 1967 को माता रविकांता व डॉ. दवेंद्र कुमार गोयल के घर हुआ। पीयूष 2003 से कुछ न कुछ लिखते आ रहे हैं श्रीमदभगवदगीता (हिन्दी व अंग्रेज़ी), श्री दुर्गा सप्तशती (संस्कृत), श्रीसांई सतचरित्र (हिन्दी व अंग्रेज़ी), श्री सुंदरकांड, चालीसा संग्रह, सुईं से मधुशाला, मेहंदी से गीतांजलि (रबींद्रनाथ टैगोर कृत), कील से “पीयूष वाणी” व कार्बन पेपर से “पंचतंत्र” (विष्णु शर्मा कृत)।
नर हो न निराश करो मन को
नर हो न निराश करो मन को
कुछ काम करो, कुछ काम करो
जग में रहकर कुछ नाम करो
इन लाइनों से प्रेरणा लेकर पले बढ़े पीयूष गोयल पेशे से डिप्लोमा यांत्रिक इंजीनियर हैं और बहुराष्ट्रीय कम्पनी में कार्यरत हैं। इन सबके अलावा पीयूष दुनिया की पहली मिरर इमेज पुस्तक श्रीमदभगवत गीता के रचनाकार हैं। पीयूष गोयल ने सभी 18 अध्याय 700 श्लोक अनुवाद सहित हिंदी व अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में लिखा है। पीयूष ने इसके अलावा दुनिया की पहली सुई से मधुशाला भी लिखी है। उनकी 9 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। वह संग्रह के भी शौक़ीन हैं, उनके पास प्रथम दिवस आवरण, पेन संग्रह, विश्व प्रसिद्ध लोगो के ऑटोग्राफ़ संग्रह भी हैं।

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