December 15, 2025

Uttarakhand Meemansa

News Portal

प्रार्थना सभा में बच्चों को गीता के श्लोक पढ़ाने का शिक्षकों ने किया विरोध

उत्तराखंड के सरकारी और अशासकीय विद्यालयों में बच्चों को प्रार्थना सभा में श्रीमद्भगवद् गीता पढ़ाने के निर्देश जारी किए गए थे, लेकिन शिक्षकों ने ही इसका विरोध शुरू कर दिया है।

उत्तराखंड मीमांसा न्यूज (ब्यूरो)। शिक्षकों ने प्रार्थना सभा में बच्चों को गीता के श्लोक पढ़ाने का विरोध किया है। एससी, एसटी शिक्षक एसोसिएशन ने इस मामले में शिक्षा निदेशक को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि यह धार्मिक ग्रंथ है। संविधान के मुताबिक शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक शिक्षा प्रदान नहीं की जा सकती।

शिक्षक एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय कुमार टम्टा ने कहा, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 28(1) में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि पूर्णतः या आंशिक रूप से सरकारी निधि से संचालित शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक शिक्षा प्रदान नहीं की जा सकती। यह व्यवस्था देश की धर्मनिरपेक्षता और सभी धर्मों के प्रति समान सम्मान की भावना को बनाए रखने के लिए बनाया गया है। प्रार्थना सभा में गीता के श्लोक बढ़ाए जाने का निर्देश संविधान में दी गई व्यवस्था का उल्लंघन करता है। जो सरकारी स्कूलों में धर्म निरपेक्ष शिक्षा के सिद्धांत को कमजोर करता है। सरकारी स्कूलों में विभिन्न धर्मों, जातियों और समुदायों के छात्र अध्ययनरत हैं। किसी एक धार्मिक ग्रंथ के श्लोकों को अनिवार्य रूप से लागू करना अन्य धर्मावलंबियों और समुदायों के बीच असहजता एवं भेदभाव की भावना को जन्म दे सकता है, जो सामाजिक समरसता और समावेशी शिक्षा के उद्देश्यों के विपरीत है। एससी-एसटी शिक्षक एसोसिएशन, इस निर्देश का विरोध करता है। इस तरह के निर्देश को वापस लिया जाना चाहिए। एसोसिएशन का मानना है कि शिक्षा का उद्देश्य वैज्ञानिक दृष्टिकोण और समावेशी मूल्यों को बढ़ावा देना है, न कि किसी विशेष धार्मिक ग्रंथ को प्रोत्साहित करना।

news