December 24, 2024

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तारा पाठक की एक रचना, चैत्र नवरात्र एवम नव संवत्सर

तारा पाठक 

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नवरात्रि एवं नव वर्ष 

चैत्र मास की नवरात्रि,
नव संवत्सर मंगलमय हो।
अधर्म का नाश हो
धर्म की सर्वत्र जय हो।
जीवन में उल्लास बढ़े
जैसे नव किसलय हो।
हास_हास में मुदित पुष्प
श्वास _श्वास में पवन मलय हो।
जीव मात्र में स्नेह अपार
दृग_दृग में भाव अभय हो।
पग _पग में उन्नति रहे
कर्म में जीत निश्चिय हो।
आचरण परस्पर मैत्रिपूर्ण
वार्ता का आधार विनय हो।
“काल युक्त” का अर्थ ये जानो
सबके पास समय हो।

@कॉपी राइट

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