-हरीश रावत की 654 पन्नों की पुस्तक ‘मेरा जीवन लक्ष्य उत्तराखंडियत’ में 93 अध्याय शामिल हैं। इसमें उनके बचपन से लेकर जवानी और अब तक की राजनीतिक यात्रा का सिलसिलेवार उल्लेख करने के साथ ही उत्तराखंडियत के तमाम पहलुओं को छुआ गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की पुस्तक ‘मेरा जीवन लक्ष्य उत्तराखंडियत’ का विमोचन जगद्गुरु शंकराचार्य राजराजेश्वराश्रम महाराज ने किया। जगद्गुरु शंकराचार्य ने कहा कि पुस्तक के रूप में हरीश रावत ने शोधग्रंथ तैयार किया है, इसलिए इसे हर विद्यालय में होना चाहिए ताकि हमारे बच्चे बचपन से ही उत्तराखंडियत को समझ सकें।
लोकार्पण समारोह में विधायक हरीश धामी, फुरकान अहमद, अनुपमा रावत, पूर्व विधायक मनोज रावत, सतपाल ब्रह्मचारी, लक्ष्मी अग्रवाल, मोहित उनियाल, पूर्व आईएएस विनोद शर्मा आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन सुरेंद्र कुमार ने किया।
हरीश को चुनाव जरूर लड़ना चाहिए: जगद्गुरु शंकराचार्य
लोकार्पण समारोह में जगद्गुरु शंकराचार्य ने कहा कि हरीश रावत को जितना वह जानते हैं, उस आधार पर कह सकते हैं कि उत्तराखंड और हरीश अलग-अलग नहीं हैं। उन्होंने अपनी पुस्तक उत्तराखंडियत में जिस अंदाज में उत्तराखंड के विभिन्न पहलुओं को उकेरा है, उसकी जितनी प्रशंसा की जाए, कम है। आज बहुत से लोग उनसे पूछते हैं, क्या हरीश रावत चुनाव लड़ेंगे, तो वह कहते हैं कि हरीश ने जीवनभर राजनीति की है, बुढ़ापे में वह गड्ढ़े नहीं खोदेंगे, बल्कि राजनीति ही करेंगे। उन्होंने कहा कि हरीश को चुनाव जरूर लड़ना चाहिए।
लोगों ने बपौती बना लिया है सनातन धर्म
समारोह में हरीश रावत ने कहा कि लोकतंत्र सत्ता और विपक्ष की पटरी पर चलता है। दोनों पटरियों को मजबूत होना चाहिए। जगतगुरु दोनों पटरियों की मजबूती के लिए सामंजस्य बनाने में समर्थ हैं। उन्होंने कहा कि आजकल लोगों ने सनातन धर्म को बपौती बना लिया है। जबकि, सनातन सबका है। यह गंगा की तरह है, जिसमें सब समाहित हैं। हरीश ने किताब के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए उत्तराखंडियत को अपने शब्दों में परिभाषित किया।
हरीश रावत राजनीति की पाठशाला: माहरा
कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि एक साथी कह रहे हैं, हरीश ने उत्तराखंडियत शब्द उनसे चुरा लिया। उन्होंने भाजपा विधायक किशोर उपाध्याय का नाम लिए बगैर कहा कि आप कभी वनाधिकार की बात करते थे, उत्तराखंडियत और पलायन की बात करते थे, श्रीदेव सुमन का नाम रटते थे। भाजपा में जाते अपने इन मूल्यों को क्यों और कैसे भूल गए, पहले इसका जवाब देना चाहिए। उन्होंने हरीश को अपना गुरु बताते हुए उन्हें राजनीति की पाठशाला बताया। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने भी पुस्तक के कई खंडों पर प्रकाश डालते हुए सरल शब्दों में किताब की विवेचना की।
हरीश रावत के विशिष्ट अतिथि नहीं पहुंचे
लोकार्पण कार्यक्रम में पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, उक्रांद के केंद्रीय अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी, समाजवादी पार्टी के नेता एसएन सचान को विशिष्ट अतिथि आमंत्रित किया गया था। लेकिन, तीनों ही कार्यक्रम में नहीं पहुंचे।
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