डॉ चेतन आनंद
गाज़ियाबाद
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गीत
हर दिन जोड़-घटाना छोड़ो,
गुणा-भाग के रिश्ते तोड़ो,
शुष्क तनावों वाले नभ में,
सुख का बादल लहराएगा।
मन का मौसम अच्छा रखना,
सबकुछ अच्छा हो जाएगा।।
नकारात्मक सोच कि जैसे
आँगन में दीवार खड़ी हो,
नफ़रत का लेपन हो जिसपर
कुंठा की तक़रार जड़ी हो,
गहन ईर्ष्या चिंता देती,
हर सुख का पल भी हर लेती,
इन्हें छोड़कर अपनेपन का
गीत द्वार पर जब गाएगा।
मन का मौसम अच्छा रखना,
सबकुछ अच्छा हो जाएगा।।
मन में आशा की ऋतुएँ हैं,
तरह-तरह के रंग भरे हैं,
गर्मी की दोपहर इसी में,
तो छाया के वृक्ष हरे हैं,
सर्दी की शीतलता अनुपम,
जीवन की गुंजित है सरगम,
यादों के मीठे झरने हैं,
जिससे अंतर भरमाएगा।
मन का मौसम अच्छा रखना,
सबकुछ अच्छा हो जाएगा।।
फूल कर्म के, गन्ध प्रीत की,
एकभाव सहयोग सहेजो,
आँसू में उत्साह-नेह भर,
नयनों को बस खुशियाँ भेजो,
मन का कमरा स्वच्छ रखोगे,
नई चेतना नित्य भरोगे,
तब ही अन्तर्मन का आँगन,
जन-जन मधुबन कहलाएगा।
मन का मौसम अच्छा रखना,
सबकुछ अच्छा हो जाएगा।।
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